Monday, March 8, 2010

होली का खुमार ..

होली की पिचकारी का रंग लेने के बाद कल जब पहली बार हम ऑफिस गए तो ऐसा लगा की गुरु किसी ने जिंदगी ही बदल दी हो. बड़ा मज़ा आ रहा था होली में गुजिया खाने में सभी दोस्तों के घर जाने में क्या बताये ये नौकरी भी न कभी कभी दुश्मन लगती है. अब हम ऐसी जगह से है जहा की होली में भंग का रंग है सभी लोग होली के रंग में सराबोर हो जाते है. मित्रो की टोली निकल जाती है कवी सम्मलेन होने लगते है. जिंदगी का मज़ा आने लगता है.
ऐसी ही होली हम खेल कर आये है.

मेरे विचार

जी हमने सोचा की हम कितनी इंग्लिश जानते है तो पाया की सिर्फ interview और अपने मेनेजर से बात करने जितनी ही जानते है. सो ये सोच के हमने हिंदी में आप सब से बात करना सही समझा. आपने आज का newsपेपर देखा की नहीं हमने तो नहीं देखा चलिए आप ही कुछ बात दीजिये हमें क्या क्या हुआ अपने देश में.