*अयि मलयजमहिमाऽयं कस्य गिरामस्तु विषयस्ते।*
*उद्गिरतो यद्गरलं फणिनः पुष्णासि परिमलोद्गारैः।।*
हे प्रिय चन्दन के वृक्ष! तुम्हारी महिमा सभी लोगों में प्रसंशा और चर्चा का विषय है, क्योंकि तुम्हारी शाखाओं और जड़ों में रहने वाले सर्पों द्वारा तुम पर विष वमन करने पर भी तुम सर्वत्र अपनी सुगन्ध बढ़ा-चढ़ा कर फैला रहे हो।
इसी तथ्य को रहीम जी ने भी कहा है,
*जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग*
*चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग*
O dear Sandalwood tree! your greatness is the subject matter of praise by people every where, because in spite of very poisonous snakes dwelling in your branches and roots and spitting poison here and there, you continue to spread more and more fragrance all around.
श्रेष्ठ रहें हम उत्कृष्ट बनें,
सज्जन हों हम स्वस्थ रहें।
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