Tuesday, May 3, 2022

शुभ बुधवार

*ममैवांशो जीवलोके जीवभूत: सनातन:।*
*मन:षष्ठानीन्द्रियाणि प्रकृतिस्थानि कर्षति।।*

गीता : अध्याय 15, श्लोक 7।

गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं,
इस संसार में प्रत्येक जीव मेरा ही अंश है, और वह सनातन है। यही सनातन अंश इस प्रकृति में मन सहित छः इंद्रियों को स्वयं में आकर्षित करता है, अर्थात इस संसार को स्वयं का मान लेता है।

Shri Krishna says in Gita,
Every living being in this world is a part of me, and it is eternal. This eternal part attracts the six senses including the mind from this worldly nature and accepts this world as its own.

हम सब अंश परम के हैं,
मन में यह अभिमान करें,
स्वास्थ्य हमारा प्रथम धर्म,
योग करें हम ध्यान करें।

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