*मत्समः पातकी नास्ति पापघ्नी त्वत्समा न हि।*
*एवं ज्ञात्वा महादेवि यथायोग्यं तथा कुरु॥*
देव्यपराधक्षमापन स्तोत्र : श्लोक 12।
हे महादेवी! मेरे समान कोई पातकी नहीं और आपके समान कोई पाप हरने वाली नहीं है, ऐसा जानकर आपसे मेरे हित में जो उचित हो करने की प्रार्थना करता हूँ।
O Great Goddess! There is no greater sinner than I am and no greater sin-destroyer as you, so, kindly do whatever you think proper for me।
आज पंचम नौरात्रि पर माँ जगदम्बा के स्कंदमाता स्वरूप को नमन।
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