Friday, May 27, 2022

चरित्र

*वृत्तं यत्नेन संरक्षेत, वित्तम् आयातियाति च।*
*अक्षीणो वित्ततः क्षीणो, वृत्ततस्तु हतोहतः।।*

वृत्त (चरित्र) की सुरक्षा यत्नपूर्वक करनी चाहिए, वित्त (धन) तो आता-जाता रहता है। वित्त के क्षीण (नष्ट) होने से कुछ भी क्षीण नहीं होता, किन्तु वृत्त के नष्ट होने से सब कुछ नष्ट हो जाता है।

We should take care of the character very diligently, the money lost can be earned back. Nothing is impaired due to the loss of wealth, but the destruction of the character destroys everything.

चरित्र हमारा शौर्य भरा हो,
स्वर्ण समान शुद्ध खरा हो,
धर्म सनातन योग तपस्या,
इनसे जीवन नित सँवरा हो।

आज *वीर सावरकर* जयंती पर सदैव राष्ट्र प्रथम हेतु संकल्पित हों।

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