*न सा दीक्षा न सा भिक्षा न तद्दानं न तत्तपः।*
*न तद् ध्यानं न तद् मौनं दया यत्र न विद्यते ॥*
जहाँ करुणा अथवा दया न हो वहाँ दीक्षा, भिक्षा, दान, तप, ध्यान और मौन सब निरर्थक है।
Where there is no compassion or mercy, then initiation, charity, tenacity, meditation and silence, all are meaningless.
*करुणा है आधार प्रथम,*
*धर्म यही सबसे उत्तम।*
आज भाद्र मास कृष्ण पक्ष तृतीया (कजली तीज, सत्तू तीज) पर माँ पार्वती हम सभी को अभीष्ट प्रदान करे।
*रहे तिरंगा सबसे ऊपर,*
*फहरे हर मन घर पर।*
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