*न देवो विद्यते काष्ठे न पाषाणे न मृण्मये।*
*भावे हि विद्यते देवस्तस्माद् भावो हि कारणम्॥*
न ही लकड़ी या पत्थर की मूर्ति में, न ही मिट्टी में अपितु परमेश्वर का निवास तो भावों में यानि हृदय में होता है। अतः जहाँ भाव होता है, परमेश्वर वहीं प्रकट हो जाते हैं।
Neither in the idol of wood or stone, nor in the clay, but God resides in the notion. Therefore God appears where there is notion. The belief that makes us feel the presence. Hence, only the emotion/feeling matters – not the material.
भाव और विश्वास साथ हो,
पत्थर में भी परम प्राप्त हो,
नित्य योग हम अपनाएँ,
स्वस्थ रहें परम को पाऍं।
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