Saturday, August 6, 2022

परख

*यथा चतुर्भि: कनकं परीक्ष्यते निघर्षणच्छेदनतापताडनौः।*
*तथा चतुर्भि: पुरुष परीक्ष्यते त्यागेन शिलेन गुणेन कर्मणा ॥*

जैसे सोने की परख घिसना, तोडना, जलाना और पीटना, चार प्रकार से होती है, उसी प्रकार मनुष्य की परख त्याग, शील, गुण, कर्म इन चार प्रकार से होती है।

The way gold's purity is tested by rubbing, cutting, heating and pounding, similarly, a person's quality is tested by gentleness, manners, habits and deeds.

*सभ्य बनें सज्जन कहलाएँ,*
*जीवन में हम प्रेम बढ़ाएँ,*
*स्वस्थ रहें सदभक्त बनें हम,*
*रोग द्वेष को दूर भगाएँ।*

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