Tuesday, July 5, 2022

भक्ति

*जातें बेगि द्रवउँ मैं भाई।*
*सो मम भगति भगत सुखदाई॥*
रामचरितमानस : अरण्य कांड।

श्री राम लक्ष्मण को भक्ति की महिमा बताते हुए कहते हैं, हे भाई! जिससे मैं शीघ्र ही प्रसन्न होता हूँ, वह मेरी भक्ति है जो भक्तों को सुख देने वाली है।

Describing the importance of devotion to Lakshmana, Shri Ram says, O brother! By which I am soon pleased, it is devotion to me. The devotion to me gives happiness to the devotees.

राम चरण अनुराग रखें हम,
सुख पाएँ सन्मार्ग चलें हम।
योग ध्यान से स्वस्थ रहें हम।

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