*जो अति आतप ब्याकुल होई।*
*तरु छाया सुख जानइ सोई॥*
रामचरितमानस : उत्तरकाण्ड।
जो धूप से अत्यंत व्याकुल होता है, वही वृक्ष की छाया का सुख जानता है।
He who is distraught by the sun knows the pleasure of the shade of a tree.
हम अपने हित को पहचानें,
अपना हित किसमें हम जानें,
भले बुरे का भेद जानकर,
सुख सच्चा ही अच्छा मानें।
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