Wednesday, July 20, 2022

जय श्री राम

*उमा राम गुन गूढ़, पंडित मुनि पावहिं बिरति।*
*पावहिं मोह बिमूढ़, जे हरि बिमुख न धर्म रति॥*

रामचरितमानस : अरण्य कांड।

भगवान शिव पार्वती को कहते हैं : हे पार्वती! श्री राम के गुण गूढ़ हैं, पण्डित और मुनि उन्हें समझकर वैराग्य प्राप्त करते हैं, किंतु जो भगवान से विमुख हैं और जिनको अपने धर्म (कर्तव्य) से प्रेम नहीं है, वे महामूढ़ मोह में उलझ जाते हैं।

The qualities of Shri Ram are esoteric, the pundits and sages attain detachment by understanding them, but those who are estranged from God and who do not love their religion (duties), they get entangled in the great delusion.

राम समझ कर मोह हटा लें,
नित नित अपना धर्म निभा लें,
सहज सरल है प्रभु को पाना,
*धर्म निभा लें प्रभु को पा लें।*

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