*तर्कोऽप्रतिष्ठः श्रुतयो विभिन्ना*
*नैको ऋषिर्यस्य मतं प्रमाणम्।*
*धर्मस्य तत्त्वं निहितं गुहायाम्*
*महाजनो येन गतः सः पन्थाः।।*
जीवन जीने के असली मार्ग के निर्धारण के लिए कोई सुस्थापित तर्क नहीं है, श्रुतियाँ (शास्त्रों तथा अन्य स्रोत) भी भाँति-भाँति की बातें करती हैं, ऐसा कोई ऋषि/ चिंतक/ विचारक नहीं है जिसके वचन प्रमाण कहे जा सकें। वास्तव में धर्म का मर्म तो बहुत गूढ़ है। इसलिए महापुरुष, समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति जिस मार्ग को अपनाते हैं, वही अनुकरणीय है।
Logic is devoid of conclusions and not foolproof, the scriptures have many derivative meanings, there is no one wise person whose philosophy can be termed as authentic or complete. In reality, the essence of Dharma is mysterious and hidden. Therefore, the path on which great realized souls have traversed, should be followed.
*स्वयं स्वयं का करें बचाव,*
*यही एक उत्तम उपचार।*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
No comments:
Post a Comment