*अनित्यानि शरीराणि विभवो नैव शाश्वतः।*
*नित्यं संनिहितो मृत्युः कर्तव्यो धर्मसङ्ग्रहः।।*
इस संसार में समस्त प्राणियों का जीवन नश्वर होता है तथा धन संपत्ति और समृद्धि भी शाश्वत (सदा बनी रहने वाली) नहीं होती है। मृत्यु हर समय प्राणहरण के लिये उद्यत रहती है। ऐसी स्थिति में मनुष्यों का कर्तव्य है कि धर्म के सिद्धान्तों को अपना कर उनका पालन करें।
All living beings in this World are perishable and their wealth, status and power is not eternal. Death is always present there to take away their life. So, it is the duty of every one to observe religious austerity.
*स्वस्थ रहें सब, यही कामना,*
*घर पर रह कर करें प्रार्थना।*
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