Friday, May 29, 2020

दृढ़ निश्चय

*कारुण्येनात्मनो तृष्णा च  परितोषतः।*
*उत्थानेन जयेत्तन्द्रीं वितर्कः निश्चयाज्जयेत।।*

स्वयं पर करुणा (दया की भावना) से, तृष्णा (अत्यधिक लोभ) पर संतोष की भावना के द्वारा, तन्द्रा (आलस्य) पर जागृति के द्वारा, तथा संदेह (संशय) पर दृढ़ निश्चय से विजय प्राप्त करनी चाहिए।

One should conquer own self by practicing compassion, greed by being satisfied at whatever he possesses, drowsiness by always remaining alert, and indecision by being firm and decisive.

*करें नहीं अभिमान तनिक भी,*
*पालन कर लें दो ग़ज़ दूरी,*

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