*सुनहु राम कर सहज सुभाऊ।*
*जन अभिमान न राखहिं काऊ॥*
*संसृत मूल सूलप्रद नाना।*
*सकल सोक दायक अभिमाना॥*
ईश्वर परमसत्ता (श्री राम) का सहज स्वभाव है कि वे अपने भक्त में अभिमान कभी नहीं रहने देते, क्योंकि अभिमान जन्म-मरण रूपी संसार का मूल है और अनेक प्रकार के क्लेशों तथा समस्त दु:खों का देने वाला है॥
The arrogance is the root cause of all miseries and conflicts, so the Almighty first removes arrogance from his devotees.
*मुझे नहीं कोरोना होगा,*
*यह घमण्ड ही ले डूबेगा,*
*है बचाव ही श्रेष्ठ तरीका,*
*स्वच्छ हस्त, मुख मास्क लपेटा।*
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