*पत्रपुष्पफलच्छायामूलवल्कलदारुभिः।*
*धन्यामहीरुहा येभ्यो निराशा यान्ति नाऽर्थिनः।।*
धन्य हैं वे वृक्ष जो अपने पत्तों, फूलों, फलों, जड़ों, छाल, लकड़ी और छाया से प्राणिमात्र की सहायता करते हैं और उनके पास से कोई भी याचक निराश नहीं लौटता है।
Blessed are the trees, who help all the living beings by providing their leaves, flowers, fruits, roots, bark and cool shade, and nobody returns with empty hands.
*बड़ अमावस्या, वट सावित्री एवं शनि जयन्ति के इस विशेष पर्व पर सभी के सौभाग्य में वृद्धि हो ऐसी शुभकामनाएँ*
*हृदय उदारता भरें,*
*मनुष्यता मनुज धरें,*
*समस्त रोग से लड़ें,*
*निरोग हम सभी रहें।*
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