Saturday, April 11, 2020

प्रभु सुमिरन

*जाति पाँति कुल धर्म बड़ाई।*
*धन बल परिजन गुन चतुराई॥*
*भगति हीन नर सोहइ कैसा।*
*बिनु जल बारिद देखिअ जैसा॥*

भक्ति की महिमा बताते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा चाहे मनुष्य जाति, पाँति, कुल, धर्म, बड़ाई, धन, बल, कुटुम्ब, गुण और चतुरता आदि से सज्जित हो किन्तु भक्ति से रहित है, तो वह एक जलहीन बादल अर्थात  शोभाहीन दिखाई पड़ता है।

A person who is having a good race, power, religion, magnificence, wealth, strength, family, virtues and cleverness, but is devoid of devotion, then he is like a meager cloud.

*प्रभु सुमिरन का समय मिला है,*
*घर में रहने में ही भला है।*

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