*दीपो भक्षयते ध्वान्तं कज्जलं च प्रसूयते।*
*यदन्नं भक्ष्यते नित्यं जायते तादृशी प्रजा॥*
जिस प्रकार दीपक अंधकार का भक्षण कर काला धुँआ/ काजल उत्पन्न करता है,
वैसे ही हम जिस प्रकार से उपार्जित अन्न ग्रहण करते हैं, हमारे विचार भी क्रमशः वैसे ही बन जाते हैं।
A lamp removes (eats) darkness and produces smoke side by side. Similarly money earned through deceptive/ sinful/ corrupt/unlawful means by an individual makes his mentality alike.
जैसा खाओ अन्न, वैसा होगा मन।
*बीस दिवस पूरे हुए, नहीं हुआ रिपु मंद,*
*अब प्रहार भीषण करें, रहें चाक चौबंद।*
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