*वित्तं बन्धुर्वयः कर्म विद्या भवति पञ्चमी।*
*एतानि मान्यस्थानानि गरीयो यद्यत् उत्तरम।।*
धन, स्वजन, आयु, सत्कर्म और विद्या, ये पांच साधन मनुष्य को प्रतिष्ठा एवं सम्मान दिलाने के साधन हैं। ये उत्तरोत्तर एक दूसरे से श्रेष्ठ हैं, अर्थात धन से स्वजन, स्वजन से आयु, आयु से सत्कर्म एवं अन्ततः विद्वता, विद्यार्जन ही सर्वश्रेष्ठ है।
Wealth, close relatives, age of a person, meaningful activity and knowledge being the five factors that bestow respect and honourable position to a person in the society and these factors are respectively more venerable. In the last the knowledge is the best.
*घर में रहकर करो पढ़ाई*
*कोरोना से यही लड़ाई*
*स्वच्छ हाथ हो मुँह पर कपड़ा*
*शस्त्र यही है सबसे तगड़ा*
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