Wednesday, April 1, 2020

रामनवमी

*जोग लगन ग्रह बार तिथि, सकल भये अनुकूल।*
*चर अरु अचर हर्षजुत, राम जनम सुखमूल॥*

योग, लग्न, ग्रह, वार और तिथि सभी अनुकूल हो गये। जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गये। श्री राम का जन्म सभी सुखों को देने वाला  है॥

*नौमी तिथि मधु मास पुनीता।* *सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥*
*मध्यदिवस अति सीत न घामा।* 
*पावन काल लोक बिश्रामा॥*

*सीतल मंद सुरभि बह बाऊ।* *हरषित सुर संतन मन चाऊ॥*
*बन कुसुमित गिरिगन मनिआरा।* 
*स्रवहिं सकल सरिताऽमृत धारा।।*

चैत्र का पवित्र माह था, नवमी तिथि थी। शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित्‌ मुहूर्त था। दोपहर का समय था। न अधिक सर्दी थी, न अधिक धूप (गरमी) थी। वह पवित्र समय सब लोकों को शांति देने वाला था॥

शीतल, मंद और सुगंधित हवा बह रही थी। देवता हर्षित थे और संतों के मन में बड़ा चाव था। वन फल फूलों से लदे हुए थे, पर्वतों के समूह मणियों से जगमगा रहे थे और सारी नदियाँ अमृत की धारा बहा रही थीं॥

*आज माँ के सिद्धिदात्री स्वरूप का नमन करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के प्राकट्य दिवस रामनवमी की अनन्त शुभकामनाएँ।*

आएँ मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के पवित्र भाव के साथ संकल्पित हों एवं कोरोना को हराने हेतु मर्यादा का पालन करें।

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