*रहिमन विपदा हो भली, जो थोरे दिन होय।*
*हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥*
जीवन में कठिन समय अर्थात् विपदा का होना अच्छा बताते हुए रहीम जी कहते हैं कि इसी दौरान यह पता चलता है कि दुनिया में कौन हमारा हित या अनहित सोचता है।
It is good in life to be bad time for a while because it distinguishes our well-wishers and others.
*सीखें जप तप योग अरु ध्याना,*
*घर से बाहर क्यों कर जाना*
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