*हनुमान तेहि परस कर, कर पुनि कीन्ह प्रनाम।*
*राम काजु कीन्हें बिना, मोहि कहाँ बिश्राम॥*
रामचरितमानस : सुंदर काण्ड।
सीता जी की खोज करने समुद्र लाँघने को उद्यत हनुमान को मैनाक पर्वत ने बैठने हेतु प्रार्थना की तब हनुमान जी ने प्रेम से उनको अपने हाथों से स्पर्श कर प्रणाम किया और कहा- श्री रामचंद्रजी का काम किये बिना मुझे विश्राम नहीं करना है॥
We can learn from _Hanumaan_ that we should not rest until reach to goal.
आएँ हनुमान प्रकटोत्सव पर हम सभी अपने कार्यों को अविराम पूरा करने का संकल्प लें।
श्री हनुमान हमें अपना संकल्प पूरा करने की सामर्थ्य एवं शक्ति प्रदान करें।
*हनुमान जन्मोत्सव की असीम शुभकामनाएँ।*
सुमिरन अपने ईश का, घर महुँ कर दिन रात,
किन्तु न बाहर जाइये, कोरोना की घात।
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