Tuesday, April 14, 2020

योग एवं चिंतन

*अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जना: पर्युपासते।*
*तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् ।।*
गीता : अध्याय ९, श्लोक २२।

परमात्मा इस श्लोक के माध्यम से अपने सभी अनन्य भक्तों को, जो निरन्तर चिन्तन करते हुए निष्काम भाव से भजते हैं, निश्चिन्त करते हुए कहते हैं कि नित्य-निरन्तर मेरा चिन्तन करने वालों का योग क्षेम _(अप्राप्य उपलब्ध कराना (योग) एवं प्राप्य की रक्षा (क्षेम))_ मैं स्वयं वहन करता हूँ।

The Almighty assure those who are loving no one else constantly and worship thou in a disinterested spirit, to those ever united in thought with thy, the Almighty bring full security and personally attend to their needs.

ईश्वर में पूर्ण विश्वास रखें।

*21 दिवस के साधना काल को बढ़ा कर 40 दिवस का कर दिया गया है, शक्ति संचय करें।*

*घर पर रह कर साधना, प्रभु सुमिरन इक काम,*
 *जीत हमारी निश्चित है, कोरोना संग्राम।*

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