*क्रोधमुग्धधियां नैव सुखं कालत्रयेऽपि च।*
*दृष्टं कदाप्युलूकानां क्रीडनं फुल्लपङ्कजे।।*
जिन व्यक्तियों का मन सदा क्रोध से भरा रहता है उन्हें न तो वर्तमान में और न ही भविष्य में सुख प्राप्त होता है। क्या कभी उल्लुओं को खिले हुए कमल के फूलों से भरे हुए किसी सरोवर में क्रीड़ा करते हुए देखा है?
Those persons whose mind is always in a state of bewilderment due to their angry nature, neither feel happy and comfortable at present nor in the future. Has any one ever seen owls enjoying the blooming lotus flowers in a lake?
क्रोध से बचें।
शुभ दिन हो।
🌹🌺💐🙏🏼
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