Sunday, November 10, 2019

परमतत्व

*कमठ पीठ जामहिं बरु बारा।*
*बंध्या सुत बरु काहुहि मारा॥*
*फूलहिं नभ बरु बहुबिधि फूला।*
*जीव न लह सुख हरि प्रतिकूला॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

तुलसीदास जी ने परमतत्व की महत्ता बताते हुए लिखा है कि कछुए की पीठ पर भले ही बाल उग आवें, बाँझ का पुत्र भले ही किसी को मार डाले, आकाश में भले ही अनेकों प्रकार के फूल खिल उठें, परंतु श्री हरि अर्थात् परमतत्व से विमुख होकर जीव सुख नहीं प्राप्त कर सकता।

Even a turtle got hairs on its back, a non existng person can kill someone, even if the sky may blossom with different types of flowers, But a  person cannot get pleasure while not on the path of God.

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏻

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