*उच्छिद्यते धर्मवृतं अधर्मो विद्यते महान्।*
*भयमाहुर्दिवारात्रं यदा पापो न वार्यते।।*
समाज में जब पापकर्मों (बुरे और निषिद्ध कार्यों ) पर किसी प्रकार का नियन्त्रण और प्रतिबन्ध नहीं होता है तब लोगों के धार्मिक आचरण में न्यूनता (कमी) होने लगती है और अधर्म (बुरे और निषिद्ध कर्मों ) में महान वृद्धि होने से रात दिन सर्वत्र भय व्याप्त हो जाता है।
In a society where there is no control over sinful and illegal deeds, there is a steep decline in the religious austerity of the people, and as a result there is abnormal increase in immorality, and an environment of fear is built up everywhere at all times.
शुभ दिन हो।
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