Saturday, December 14, 2019

ज्ञानी

*यस्य सर्वे समारम्भा: कामसंकल्पवर्जिता:।*
*ज्ञानग्निदग्धकर्माणं तमाहु: पण्डितं बुधा:।।*
गीता : अध्याय ४, श्लोक १९।

जिसके सम्पूर्ण कर्म शास्त्रसम्मत, बिना कामना और संकल्प के होते हैं तथा जिसके समस्त कर्म ज्ञानरूप अग्नि के द्वारा भस्म हो गये हैं, उस महापुरुष को ज्ञानीजन भी पण्डित कहते हैं।

Even the wise call him a sage, whose undertaking are free from all desire and thoughts of the world, and whose actions are burnt up by the fire of wisdom.

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻

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