*सुनहु राम कर सहज सुभाऊ।*
*जन अभिमान न राखहिं काऊ॥*
*संसृत मूल सूलप्रद नाना।*
*सकल सोक दायक अभिमाना॥*
ईश्वर परमसत्ता (श्री राम) का सहज स्वभाव है कि वे अपने भक्त में अभिमान कभी नहीं रहने देते, क्योंकि अभिमान जन्म-मरण रूपी संसार का मूल है और अनेक प्रकार के क्लेशों तथा समस्त दुखों का देने वाला है॥
The arrogance is the root cause of all miseries and conflicts, so the Almighty first removes arrogance from his devotees.
अभिमान त्यागें।
शुभ दिन हो।
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