*अकर्तव्यं न कर्तव्यं प्राणैः कण्ठगतैरपि।*
*कर्तव्यमेव कर्तव्यं प्राणैः कण्ठगतैरपि।।*
जो कार्य निषिद्ध या न करने के योग्य हों उन्हें प्राण कंठगत होने पर भी (मृत्यु का आसन्न संकट होने पर भी) नहीं करना चाहिये। इस के विपरीत जो कार्य करना अपना कर्तव्य हो उसे अपने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए भी अवश्य करना चाहिये।
One should not do improper or criminal acts even if he faces a threat to his life. On the other hand one should perform his duty even at the cost of his life.
शुभ दिन हो।
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