*द्वेष्यो न साधुर्भवति न मेधावी न पण्डित:।*
*प्रिये शुभानि कार्याणि द्वेष्ये पापानि चैव ह।।*
When one hates a person he never regards him as
honest, intelligent or wise. One attributes everything
good to him that he loves and evil to him that one hates.
यदि कोई किसी से घृणा करता है, तो उसकी ईमानदारी, विद्वता एवं बुद्धिमानी का भी सम्मान नही करता है, जबकि अपने प्रिय को सभी अच्छा एवं अप्रिय को बुरा बताते हैं।
शुभ दिन हो।
🌺🌷💐🙏🏼
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