Tuesday, April 14, 2020

योग एवं चिंतन

*अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जना: पर्युपासते।*
*तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् ।।*
गीता : अध्याय ९, श्लोक २२।

परमात्मा इस श्लोक के माध्यम से अपने सभी अनन्य भक्तों को, जो निरन्तर चिन्तन करते हुए निष्काम भाव से भजते हैं, निश्चिन्त करते हुए कहते हैं कि नित्य-निरन्तर मेरा चिन्तन करने वालों का योग क्षेम _(अप्राप्य उपलब्ध कराना (योग) एवं प्राप्य की रक्षा (क्षेम))_ मैं स्वयं वहन करता हूँ।

The Almighty assure those who are loving no one else constantly and worship thou in a disinterested spirit, to those ever united in thought with thy, the Almighty bring full security and personally attend to their needs.

ईश्वर में पूर्ण विश्वास रखें।

*21 दिवस के साधना काल को बढ़ा कर 40 दिवस का कर दिया गया है, शक्ति संचय करें।*

*घर पर रह कर साधना, प्रभु सुमिरन इक काम,*
 *जीत हमारी निश्चित है, कोरोना संग्राम।*

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Monday, April 13, 2020

विचार

*दीपो भक्षयते ध्वान्तं कज्जलं च प्रसूयते।*
*यदन्नं भक्ष्यते नित्यं जायते तादृशी प्रजा॥*

जिस प्रकार दीपक अंधकार का भक्षण कर काला धुँआ/ काजल उत्पन्न करता है,
वैसे ही हम जिस प्रकार से उपार्जित अन्न ग्रहण करते हैं, हमारे विचार भी क्रमशः वैसे ही बन जाते हैं।

A lamp removes (eats) darkness and produces smoke side by side. Similarly money earned through deceptive/ sinful/ corrupt/unlawful means by an individual makes his mentality alike. 

जैसा खाओ अन्न, वैसा होगा मन। 


*बीस दिवस पूरे हुए, नहीं हुआ रिपु मंद,*
*अब प्रहार भीषण करें, रहें चाक चौबंद।*

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Sunday, April 12, 2020

भक्ति एवं योग

*कहहु भगति पथ कवन प्रयासा।* 
*जोग न मख जप तप उपवासा।*
*सरल सुभाव न मन कुटिलाई।*
*जथा लाभ संतोष सदाई॥*
रामचरितमानस : उत्तरकाण्ड।

भक्ति के मार्ग में परिश्रम नहीं है, इसमें न योग की आवश्यकता है, न यज्ञ, जप, तप और उपवास की। भक्ति के मार्ग में केवल सरल स्वभाव हो, मन में कुटिलता न हो और जो कुछ मिले उसी में सदा संतोष रखें।

There is no need of hard work in the path of devotion, no need for Yoga, neither Yagna, Chanting, Tapa and Fasting. Only simple nature, mind with no evil and satisfaction in whatever gets are the only requirements in this path.

*लड़ना है बस घर में रहकर,*
*हम सब के हित है यह हितकर*

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Saturday, April 11, 2020

प्रभु सुमिरन

*जाति पाँति कुल धर्म बड़ाई।*
*धन बल परिजन गुन चतुराई॥*
*भगति हीन नर सोहइ कैसा।*
*बिनु जल बारिद देखिअ जैसा॥*

भक्ति की महिमा बताते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा चाहे मनुष्य जाति, पाँति, कुल, धर्म, बड़ाई, धन, बल, कुटुम्ब, गुण और चतुरता आदि से सज्जित हो किन्तु भक्ति से रहित है, तो वह एक जलहीन बादल अर्थात  शोभाहीन दिखाई पड़ता है।

A person who is having a good race, power, religion, magnificence, wealth, strength, family, virtues and cleverness, but is devoid of devotion, then he is like a meager cloud.

*प्रभु सुमिरन का समय मिला है,*
*घर में रहने में ही भला है।*

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Friday, April 10, 2020

कठिन समय

*रहिमन विपदा हो भली, जो थोरे दिन होय।*
*हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥*

जीवन में कठिन समय अर्थात्  विपदा का होना अच्छा बताते हुए रहीम जी कहते हैं कि इसी दौरान यह पता चलता है कि दुनिया में कौन हमारा हित या अनहित सोचता है।

It is good in life to be bad time for a while because it distinguishes our well-wishers and others.

*सीखें जप तप योग अरु ध्याना,*
*घर से बाहर क्यों कर जाना*

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Thursday, April 9, 2020

विनम्रता

*फल भारन नमि बिटप सब रहे भूमि निअराइ।*
*पर उपकारी पुरुष जिमि नवहिं सुसंपति पाइ॥*
रामचरितमानस : अरण्यकाण्ड।

जिस प्रकार फलदार वृक्ष, फलों से लदने पर नीचे झुक जाते हैं, अर्थात उस वृक्ष की डालियाँ जमीन की ओर झुक जाती हैं। उसी प्रकार परोपकारी व्यक्ति सुसम्पति पाकर और अधिक विनम्र हो जाते हैं।

Just as fruitful trees, when laden with fruits, bow down, that is, the branches of that tree lean towards the ground. In the same way, noble person become more humble after gaining wealth.

*शेष तपस्या अब कुछ दिन की,*
*हार है निश्चित कोरोना की,*

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Wednesday, April 8, 2020

मृदुभाषी

*प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।*
*तस्मात्तदेव वक्तव्यं, वचने किं दरिद्रता।।*

मीठी वाणी बोलने से सभी व्यक्ति प्रसन्न और संतुष्ट होते हैं इसलिए सदैव मधुर वचन ही बोलना चाहिए। वाणी हमारे अधीन है और इसका कोई मूल्य भी नहीं देना पड़ता तो मीठे वचन बोलने में दरिद्रता कैसी?

तुलसी मीठे वचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर।
वशीकरण यह मंत्र है, तज दे वचन कठोर।

All the people are happy and satisfied by soft and sweet words, therefore always speak sweet words. We have control over our words and have not to pay any price for soft words, then why to be miser in saying sweet words?

मृदुभाषी बनें।

*जीत रहे हम निश्चित जानो,*
*घर में रहना, बात सभी मानो,*

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Tuesday, April 7, 2020

हनुमान जयंती

*हनुमान तेहि परस कर, कर पुनि कीन्ह प्रनाम।*
*राम काजु कीन्हें बिना, मोहि कहाँ बिश्राम॥*
रामचरितमानस : सुंदर काण्ड।

सीता जी की खोज करने समुद्र लाँघने को उद्यत हनुमान को मैनाक पर्वत ने बैठने हेतु प्रार्थना की तब हनुमान जी ने प्रेम से उनको अपने हाथों से स्पर्श कर प्रणाम किया और कहा- श्री रामचंद्रजी का काम किये बिना मुझे विश्राम नहीं करना है॥

We can learn from _Hanumaan_ that we should not rest until reach to goal.

आएँ हनुमान प्रकटोत्सव पर हम सभी अपने कार्यों को अविराम पूरा करने का संकल्प लें।

श्री हनुमान हमें अपना संकल्प पूरा करने की सामर्थ्य एवं शक्ति प्रदान करें।

*हनुमान जन्मोत्सव की असीम शुभकामनाएँ।*

सुमिरन अपने ईश का, घर महुँ कर दिन रात,
किन्तु न बाहर जाइये, कोरोना की घात।

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Monday, April 6, 2020

उत्साह

*उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम्।*
*सोत्साहस्य च लोकेषु न किंचिदपि दुर्लभम्॥*
वाल्मीकि रामायण : किष्किन्धा काण्ड ; १/१२१

Enthusiasm is the power of men. Nothing is as powerful as enthusiasm. Nothing is difficult in this world for an enthusiastic person.

उत्साह पुरुषों का बल है, उत्साह से बढ़कर और कोई बल नहीं है। उत्साहित व्यक्ति के लिए इस लोक में कुछ भी दुर्लभ नहीं है। 

*उत्साह कभी नहीं खोना*
*हारेगा निश्चित कोरोना*

शुभ दिन हो।

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Saturday, April 4, 2020

महादेव

*वयम् अमृतस्य पुत्रा:।*
                      श्वेताश्वर उपनिषद

हम अमृत तत्व से उत्पन्न हुए हैं। हम अविनाशी ईश्वर का एक अंश हैं।

We are children of the nector element. We are a part of eternal imperishable GOD.

शुभ दिन हो।

*देवपुत्र हम, यह विश्वास नहीं खोना,*
*यह निश्चित है, हारेगा कोरोना।*

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