Sunday, June 7, 2020

समय

*उदये सविता रक्तो रक्तश्चास्तमये तथा।*
*सम्पत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता।।*

जिस प्रकार सूर्य उदय एवं अस्त दोनों ही समय एक जैसा अर्थात सौम्य रक्त वर्ण होता है, वैसे ही महापुरुष संपत्ति एवं विपत्ति दोनों में एक समान रहते हैं।

The sun looks red while rising and setting. Great men too remain alike in both the good and bad times.

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Saturday, June 6, 2020

संयम

*दुर्जनः परिहर्तव्यो विद्ययालंकृतोपि सन्।*
*मणिना भूषितः सर्पः किमसौ न भयंकरः।।"*

विद्या के अलंकार से अलंकृत होने पर भी दुर्जन से दूर ही रहना चाहिए, क्योंकि मणि से भूषित होने पर भी क्या सर्प भयंकर नहीं होता।

A malfeasant person should be avoided even he is intellect. Is the serpent not fierce if being apprehensive with gem?

*एक नयी जीवन शैली से,*
*जीतेंगें दो गज़ दूरी से।*

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Thursday, June 4, 2020

सक्षम

*बन्धनस्योऽपि मातङ्गः सहस्रभरणक्षमः।*
*अपि स्वच्छन्द्चारी श्वा स्वोदरेणाऽपि दुःखितः।।*
                                               
एक मर्यादित हाथी अंकुश में होने पर हजार लोगों का परोक्ष रूप से भरणपोषण करने में सक्षम होता है, परन्तु एक स्वच्छन्द विचरण करने वाला कुत्ता स्वयं अपना ही पेट न भर सकने के कारण दुःखी रहता है।

An elephant even under bondage provides indirectly sustenance to thousands of people, whereas an independent stray dog leads a miserable life by not being able even to sustain himself properly.

*मर्यादा है सदा जरूरी,*
*रखें सभी से दो गज़ दूरी।*

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Tuesday, June 2, 2020

मार्ग

*तर्कोऽप्रतिष्ठः श्रुतयो विभिन्ना*
*नैको ऋषिर्यस्य मतं प्रमाणम्।*
*धर्मस्य तत्त्वं निहितं गुहायाम्*
*महाजनो येन गतः सः पन्थाः।।*

जीवन जीने के असली मार्ग के निर्धारण के लिए कोई सुस्थापित तर्क नहीं है, श्रुतियाँ (शास्त्रों तथा अन्य स्रोत) भी भाँति-भाँति की बातें करती हैं, ऐसा कोई ऋषि/ चिंतक/ विचारक नहीं है जिसके वचन प्रमाण कहे जा सकें। वास्तव में धर्म का मर्म तो बहुत गूढ़ है। इसलिए महापुरुष, समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति जिस मार्ग को अपनाते हैं, वही अनुकरणीय है।

Logic is devoid of conclusions and not foolproof, the scriptures have many derivative meanings, there is no one wise person whose philosophy can be termed as authentic or complete. In reality, the essence of Dharma is mysterious and hidden. Therefore, the path on which great realized souls have traversed, should be followed.

*स्वयं स्वयं का करें बचाव,*
*यही एक उत्तम उपचार।*

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Sunday, May 31, 2020

गंगा दशहरा

*गंगा पापं, शशी तापं दैन्यं कल्पतरुस्तथा।*
*पापं तापं तथा दैन्यं हन्ति सज्जनसंगम।।*

सज्जनों की संगति की महिमा बताते हुए कहा गया है कि गंगास्नान से सब पाप, चन्द्रमा के दर्शन से ताप (गर्मी) एवं कल्पवृक्ष का दर्शन दरिद्रता को दूर कर देता है। परन्तु सज्जनों की संगति से पाप, ताप और दरिद्रता तीनों से दूर हो जाते हैं।

The value of noble person's good company is said by this. As all sins can be removed by taking dip in the holy water of Ganga, heat is vanished in Moon's cool light and paucity is cured by just seeing the _Kalpavriksha_, but the all three, paucity, heat and sins can be cured by only being with noble person.

*सर्व पाप हारी माँ गंगा एवं विवेक की अधिष्ठात्री देवी माँ गायत्री* के अवतरण दिवस ज्येष्ठ शुक्ल दशमी (गंगा दशमी, गायत्री जयन्ति) पर हम सभी पवित्र एवं विवेकवान बनें, ऐसी शुभकामनाएँ।

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Friday, May 29, 2020

दृढ़ निश्चय

*कारुण्येनात्मनो तृष्णा च  परितोषतः।*
*उत्थानेन जयेत्तन्द्रीं वितर्कः निश्चयाज्जयेत।।*

स्वयं पर करुणा (दया की भावना) से, तृष्णा (अत्यधिक लोभ) पर संतोष की भावना के द्वारा, तन्द्रा (आलस्य) पर जागृति के द्वारा, तथा संदेह (संशय) पर दृढ़ निश्चय से विजय प्राप्त करनी चाहिए।

One should conquer own self by practicing compassion, greed by being satisfied at whatever he possesses, drowsiness by always remaining alert, and indecision by being firm and decisive.

*करें नहीं अभिमान तनिक भी,*
*पालन कर लें दो ग़ज़ दूरी,*

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Thursday, May 28, 2020

फल

*सठ सन बिनय कुटिल सन प्रीति।*
*सहज कृपन सन सुंदर नीति॥*
*ममता रत सन ज्ञान कहानी।*
*अति लोभी सन बिरती बखानी॥*
*क्रोधिहि सम कामिहि हरिकथा।*
*ऊसर बीज बाएँ फल जथा॥*

मूर्ख से विनय, कुटिल के साथ प्रीति, स्वभाव से कंजूस व्यक्ति से उदारता की बात, मोहग्रस्त मनुष्य से ज्ञान की कथा, अत्यंत लोभी से वैराग्य का वर्णन, क्रोधी से शम (शांति) की बात और कामी से भगवान की कथा, इन सब का फल व्यर्थ होता है, जैसे ऊसर भूमि में बीज बोने से कोई फल नहीं मिलता है।

Supplication before an idiot, friendship with a rogue, inculcating liberality on a born miser, talking wisdom to one steeped in worldliness, glorifying dispassion before a man of excessive greed, a lecture on mindcontrol to an irascible man and a discourse on the exploits of Devine to a libidinous person are as futile as sowing seeds in a barren land.

*हम सब अपना भला विचारें,*
*संयमित रह ज़िन्दगी गुजारें,*

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Wednesday, May 27, 2020

अभिमान

*सुनहु राम कर सहज सुभाऊ।* 
*जन अभिमान न राखहिं काऊ॥*
*संसृत मूल सूलप्रद नाना।* 
*सकल सोक दायक अभिमाना॥*

ईश्वर परमसत्ता (श्री राम) का सहज स्वभाव है कि वे अपने भक्त में अभिमान कभी नहीं रहने देते, क्योंकि अभिमान जन्म-मरण रूपी संसार का मूल है और अनेक प्रकार के क्लेशों तथा समस्त दु:खों का देने वाला है॥

The arrogance is the root cause of all miseries and conflicts, so the Almighty first removes arrogance from his devotees.

*मुझे नहीं कोरोना होगा,*
*यह घमण्ड ही ले डूबेगा,*
*है बचाव ही श्रेष्ठ तरीका,*
*स्वच्छ हस्त, मुख मास्क लपेटा।*

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Tuesday, May 26, 2020

आवेश

*सहसा विदधीत न क्रियामविवेकः परमापदां पदम्।*
*वृणते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः स्वयमेव संपदः।।*

आवेश में आ कर बिना सोचे समझे कोई कार्य नहीं करना चाहिए। 
विवेकशून्यता बड़ी विपत्तियों का द्वार है। 
जो व्यक्ति सोच समझकर कार्य करता है; गुणों से आकृष्ट होने वाली माँ लक्ष्मी स्वयं ही उसका चुनाव कर लेती है |

One should not indulge in action in a hurry.
Indiscretion becomes a step towards extreme troubles.
Glory (good results) always enticed by virtuosity prefer one who exercises discretion.

*विवेक साथ हो सदा,*
*निभाएँ हरेक कायदा,*
*सभी मिलें तो दूर से,*
*विनाश कौन कर सके।*

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Monday, May 25, 2020

आलस्य का त्याग

*श्रेयांसि च सकलान्यनलसानां हस्ते नित्यसान्निद्ध्यानि I*

इस संसार की सकल संपत्ति एवं श्रेय उन्हीं के हाथ में होता है जो सदैव आलस्य का त्याग कर कर्म में उद्यत रहते हैं।

The gross wealth and credit of this world is in the hands of those who always abandon laziness and remain engaged in _karma_ means action.

*स्व में स्थित घर में स्थित हो*
*इस शत्रु से जीत निश्चित हो।*

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