Tuesday, September 6, 2022

गुण

*गुणिनि गुणज्ञो रमते नाऽगुणशीलस्य गुणिनि परितोषः।*
*अलिरेति वनात्पद्मं न   दर्दुरस्त्वेकवासोऽपि।।*

गुणवान व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के गुणों को देख कर आनन्दित होते हैं, परन्तु गुण रहित व्यक्तियों को दूसरों के गुणों को देख कर कोई प्रसन्नता नहीं होती है। 
देखो तो ! एक मधुमक्खी वन में खिले हुए कमल पुष्पों से उनका पराग प्राप्त करने हेतु स्वयं उनके पास चली जाती है, परन्तु मेंढक एक ही स्थान पर बने रहते हैं।

Virtuous persons always feel rejoiced on seeing the virtues of others, whereas worthless persons are never happy
on seeing the virtues of others. Look ! how a bee moves around a forest to collect the nectar from Lotus flowers, whereas frogs remain confined at one place.

*परिवर्तिनी एकादशी (जलझूलनी एकादशी), डोल ग्यारस, वामन एकादशी पर जीवन में परिवर्तन की महत्ता को आत्मसात करें।*
*अशेष शुभकामनाएँ।*

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Sunday, September 4, 2022

शिक्षक दिवस की शुभ कामनाये

*न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।*

ज्ञान के समान पवित्र करने वाला इस संसार में निःसंदेह कुछ भी नहीं है। 

Undoubtedly, in this world, there is nothing as pure and sublime as knowledge.

आज *शिक्षक दिवस* के अवसर पर शिक्षा का प्रचार प्रसार करने वाले समस्त शिक्षकों को नमन करते हुए शिक्षा के अधिकाधिक प्रसार हेतु संकल्पित हों।

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Monday, August 29, 2022

हर तालिका तीज

*इहैव तैर्जितः सर्गो येषां साम्ये स्थितं मनः।*
*निर्दोषं हि समं ब्रह्म तस्माद्ब्रह्मणि ते स्थिताः।।*
गीता : अध्याय ५, श्लोक १९।

जिस मनुष्य का मन सम-भाव में स्थित रहता है, उसके द्वारा जन्म-मृत्यु के बन्धन रूपी संसार को जीत लिया जाता है क्योंकि वह ब्रह्म के समान निर्दोष एवं सम होता है और सदा परमात्मा में ही स्थित रहता है।

तुलसीदास जी ने भी इस तथ्य को सरल शब्दों में कहा है:
*समरथ कहुँ नहि दोष गुसाईं।*
*रवि पावक सुरसरि की नाईं।*
  
Those whose minds are established in sameness and equanimity have already conquered the conditions of birth and death. They are flawless like Almighty, and thus they are already situated in Almighty.

*हरितालिका तीज दिवस, अनुपम यह त्योहार,*
*हर घर में खुशियाँ बढ़े, सुख समृद्धि अपार।*

आज *हरतालिका तीज* पर माँ भवानी सभी अभीष्ट प्रदान करें, ऐसी अनेकानेक शुभकामनाएँ।

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निंदा

*तुलसी जे कीरति चहहिं, पर की कीरति खोइ।*
*तिनके मुंह मसि लागिहैं, मिटिहि न मरिहै धोइ।।*

जो लोग दूसरों की निन्दा करके, अपमान करके स्वयं सम्मान पाना चाहते हैं। ऐसे लोगों के मुँह पर ऐसी कालिख लगती है, जो लाखों बार धोने से भी नहीं हटती है।

Those who want to get respect for themselves by insulting others, will be stigmatized, which can't be washed out.

*पर निंदा से दूर रहें हम,*
*आलोचक से नहीं डरें हम,*
*स्व में स्थित स्वस्थ बनें हम,*
*निर्भय स्वस्थ बनें विचरें हम।*

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Saturday, August 27, 2022

सद्गुण

*दानं प्रियवाक्य सहितं ज्ञानमगर्वं क्षमान्वितं शौर्यं।*
*वित्तं त्यागनियुक्तं दुर्लभमेतत् चतुष्टय लोके।।*

याचकों को दान देते समय प्रिय वचन कहने वाले, अपने ज्ञानी होने पर गर्व न करने वाले, शूरवीर होने पर भी क्षमाशील, तथा धनवान होते हुए भी दानशील, इन सद्गुणों से युक्त मनुष्य इस संसार में दुर्लभ होते हैं।

Persons endowed with four qualities, namely speaking politely while doing charity, not being proud of being knowledgeable, forgiving in nature in spite of being valorous, and wealthy but also very charitable and detached from their wealth, are very rare in this World.

*स्व पर यदि निर्भर हो जाएँ*
*सब सुख जीवन में भर जाएँ*
*विश्व पटल पर हम छा जाएँ*
*जन जन में विश्वास जगाएँ।*

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Saturday, August 13, 2022

कजली तीज

*न सा दीक्षा न सा भिक्षा न तद्दानं न तत्तपः।*
*न तद् ध्यानं न तद् मौनं दया यत्र न विद्यते ॥*

जहाँ करुणा अथवा दया न हो वहाँ दीक्षा, भिक्षा, दान, तप, ध्यान और मौन सब निरर्थक है।

Where there is no compassion or mercy, then initiation, charity, tenacity, meditation and silence, all are meaningless.

*करुणा है आधार प्रथम,*
*धर्म यही सबसे उत्तम।*

आज भाद्र मास कृष्ण पक्ष तृतीया (कजली तीज, सत्तू तीज) पर माँ पार्वती हम सभी को अभीष्ट प्रदान करे।

*रहे तिरंगा सबसे ऊपर,*
*फहरे हर मन घर पर।*

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Wednesday, August 10, 2022

रक्षा बंधन की शुभ कामनाये

*येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।*
*तेन त्वाम् अनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।*

श्रावणी पूर्णिमा एवं रक्षाबन्धन के इस पुनीत पर्व पर आएँ हम सभी रक्षासूत्र धारण करें एवं जिस प्रकार दानवों के महाबली राजा बलि इस सूत्र में बाँधे गये थे, अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किये गये थे, उसी प्रकार हम भी इस सूत्र को धारण कर धर्म के लिए प्रतिबद्ध हों एवं निर्बल की रक्षा हेतु संकल्पित हों। ये रक्षा सूत्र स्थिर रहकर हमें अपना संकल्प स्मरण कराता रहे।

The mighty king of Danavas *BALI* was tied in the sutra, to follow his religion, similarly we too should commit to religion by wearing this sutra and be determined to protect the weak. May the _Raksha Sutras_ remain constant and remind us our duties.

*निज धर्म हेतु संकल्पित हों,*
*निज कर्तव्य हेतु समर्पित हों,*
*निर्बल की रक्षा हित तत्पर,*
*हों धर्म परायण, रक्षित हों।*

भाई बहन के अटूट प्रेम के प्रतीक  इस *रक्षा बन्धन पर्व* की अनंत शुभकामनाएँ। 

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Saturday, August 6, 2022

परख

*यथा चतुर्भि: कनकं परीक्ष्यते निघर्षणच्छेदनतापताडनौः।*
*तथा चतुर्भि: पुरुष परीक्ष्यते त्यागेन शिलेन गुणेन कर्मणा ॥*

जैसे सोने की परख घिसना, तोडना, जलाना और पीटना, चार प्रकार से होती है, उसी प्रकार मनुष्य की परख त्याग, शील, गुण, कर्म इन चार प्रकार से होती है।

The way gold's purity is tested by rubbing, cutting, heating and pounding, similarly, a person's quality is tested by gentleness, manners, habits and deeds.

*सभ्य बनें सज्जन कहलाएँ,*
*जीवन में हम प्रेम बढ़ाएँ,*
*स्वस्थ रहें सदभक्त बनें हम,*
*रोग द्वेष को दूर भगाएँ।*

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Monday, July 25, 2022

महादेव

साकार व निराकार परमात्मा के द्वंद्व को ध्यान में रखते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के अंतिम काण्ड उत्तरकाण्ड में (आठ श्लोक के रुद्राष्टकम् स्तोत्र में) परम शिव की स्तुति करते हुए ईश्वर का जो व्याख्यान किया है उससे साकार व निराकार के द्वंद्व को आसानी से समझ सकते हैं।

*न यावद् उमानाथ पादारविंदं। भजंतीह लोके परे वा नराणां॥*
*न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं। प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं॥*
रुद्राष्टकम : उत्तर कांड, रामचरितमानस।

हे उमानाथ जब तक आपके चरणकमलों को नहीं भजते, तब तक न तो इहलोक और परलोक में सुख-शांति मिलती है और न उनके तापों का नाश होता है। अतः हे समस्त जीवों के हृदय में निवास करने वाले हे प्रभो! प्रसन्न होइए॥

O _Umanath_ unless we worship you, we can't get peace in this world or either elsewhere. Kindly be pleased on us as you reside in the hearts of all of us.

आज श्रावणी शिवरात्रि पर आएँ हम उस निराकार परमात्मा के साकार शिव रूप का ध्यान एवं स्तुति करें।

*शिव को भज लें, जानें हम,*
*शक्तिवान शिव मानें हम,*
*भक्ति शक्ति से स्वस्थ रहें,*
*परम स्वयं पहचानें हम।* 

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Friday, July 22, 2022

स्वभाव

*संपत्सु महतां चित्तं  भवत्युत्पलकोमलं।*
*आपत्सु च महाशैलं शिलासंघात कर्कशम्।।*

महान व्यक्तियों का स्वभाव उनके सुखी और समृद्ध होने पर भी एक पुष्प के समान कोमल होता है एवं विपत्ति की स्थिति में पर्वत की शिलाओं के समान कठोर हो जाता है।

During prosperity the heart of a noble man is kind and soft like a flower. But in adverse times it becomes as hard as rock of a mountain.

*अनुकूल समय में सौम्य रहें हम,*
*विपरीत समय चट्टान बनें हम,*
*हम सब में अंश परम का है,*
*क्यों विचलित हों, क्यों टूटें हम।*

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