Sunday, June 20, 2021

निर्जला एकादशी एवं योगदिवस की शुभकामनाएं

*एव सर्वात्मना कार्या रक्षा योगविदानिशं।*
*धर्मार्थकाममोक्षाणां  शरीरं साधनं यतः।।*

हमें अपने शरीर की रक्षा मनोयोग पूर्वक करनी चाहिए क्योंकि एक मात्र हमारा शरीर ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष अर्थात् जीवन के सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने का साधन है।

We should always protect our body with special care, because body is the only means of achieving religious austerity, wealth, fulfillment of all desires and ultimately deliverance from the cycle of rebirth (emancipation).

आज *अंतरराष्ट्रीय योग दिवस* एवं *निर्जला एकादशी* पर सङ्कल्प लें कि हम अपने स्वास्थ्य की रक्षा हेतु नित्य योग करेंगें एवं अभक्ष्य का सेवन नहीं करेंगें। 

*प्रथम जरूरी स्वस्थ रहें हम,*
*नित्य योग से स्वस्थ रहें हम।*

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Saturday, June 19, 2021

गंगा दशहरा

*ॐ भूः भुवः स्वः*
*तत् सवितु: वरेण्यं*
*भर्गोदेवस्य धीमहि*
*धियो यो न: प्रचोदयात्।*

हे परमेश्वर! आप हमारे प्रियतम् प्राण हो, हमें अशुभ संकल्पों तथा भौतिक विपत्तियों से दूर करो। हम आपके शुद्ध प्रकाशमय स्वरुप का दर्शन अपने अन्त: करण में नित्य करें।
हे दिव्य प्रकाशक! हमें प्रकाश की ओर ले चलो, आपका प्रकाशमय स्वरुप हमारी बुद्धियों को सन्मार्ग में प्रवृत्त करें।

Almighty God is cause of our existence and is dearer to us than our life. He permeates the whole universe, keeps all beings under control and is abode of all. He is, most acceptable, and he is pure intelligence. May he always safeguard our intellectual faculties from all evil that we might otherwise fall into, and lead them on to do only what is good.

*सर्व पाप हारी माँ गंगा एवं विवेक की अधिष्ठात्री देवी माँ गायत्री* के अवतरण दिवस ज्येष्ठ शुक्ल दशमी (गंगा दशमी, गायत्री जयन्ति) पर हम सभी पवित्र एवं विवेकवान बनें, माँ गंगा जीवन के सब संतापों को शांत करें एवं स्वस्थ बनें।

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Saturday, June 5, 2021

विश्व पर्यावरण दिवस

*पत्रपुष्पफलच्छायामूलवल्कलदारुभिः।*
*धन्यामहीरुहा येभ्यो निराशा यान्ति नाऽर्थिनः।।*
                                             
धन्य हैं वे वृक्ष जो अपने पत्तों, फूलों, फलों, जड़ों, छाल, लकड़ी और छाया से प्राणिमात्र की सहायता करते हैं और उनके पास से कोई भी याचक निराश नहीं लौटता है।

Blessed are the trees, who help all the living beings by providing their leaves, flowers, fruits, roots, bark and cool shade, and nobody  returns with empty hands.

वृक्षों से हम देना सीखें,
वृक्षों को पालें हम सींचें।

*विश्व पर्यावरण दिवस पर आएँ हम अधिकाधिक वृक्ष लगाने का सङ्कल्प लें।*

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Wednesday, June 2, 2021

एकांतचित्त

*एकाकी चिन्तयेन्नित्यं विविक्ते हितं आत्मनः।*
*एकाकी चिन्तयानो हि परं श्रेयोऽधिगच्छति।।*
मनुस्मृति : 4/258

मनुष्य को नित्यप्रति एकान्त स्थान में एकाकी बैठकर आत्म-हित का चिन्तन करना चाहिए। एकाकी आत्म-चिन्तन करने वाला मनुष्य परम कल्याण को प्राप्त होता है।

One should think of self-interest by sitting alone in a secluded place every day. A man who contemplates alone attains supreme welfare.

*नित्य अकेले बैठ मनन हो,*
*आत्म निरीक्षण पर चिन्तन हो,*
*स्व में स्थित स्वस्थ रहें हम,*
*सुरभित विकसित तब जीवन हो।*

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Sunday, May 30, 2021

कर्म

*न मां कर्माणि लिम्पन्ति न मे कर्मफले स्पृहा।*
*इति मां योऽभिजानाति कर्मभिर्न स बध्यते।।*

गीता : अध्याय 4, श्लोक 14।

कर्मों की दिव्यता महत्त्व बतलाते हुए भगवान श्री कृष्ण निष्काम भाव से कर्म करने के लिये अर्जुन को आज्ञा देते हैं-
कर्मों के फल में मेरी स्पृहा नहीं है, इसलिए मुझे कर्म लिप्त नहीं करते– इस प्रकार जो मुझे तत्त्व से जान लेता है, वह भी कर्मों से नहीं बँधता।

Since I have no craving for the fruit of acions; actions do not contaminate Me, Even he who thus knows Me in reality is not bound by actions.

हम कर्मों से डरें नहीं,
पर कर्मों से बँधे नहीं,
कर्म हमारे वश में हैं,
फल प्रभु के वश में हैं।

स्वस्थ रहें।

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Thursday, May 27, 2021

जय माँ

*उच्छिद्यते धर्मवृतं अधर्मो विद्यते महान्।*
*भयमाहुर्दिवारात्रं यदा  पापो  न वार्यते।।*

समाज में जब पापकर्मों (बुरे और निषिद्ध कार्यों) पर किसी प्रकार का नियन्त्रण  और प्रतिबन्ध नहीं होता है  तब लोगों के धार्मिक आचरण में न्यूनता (कमी) होने लगती है और अधर्म (बुरे और निषिद्ध कर्मों) में वृद्धि होने से रात दिन सर्वत्र भय व्याप्त हो जाता है।
 
In a society where there is no control over sinful and illegal deeds, there is a steep decline in the  religious austerity of the people, and  as a result  there is abnormal  increase in immorality, and an environment of fear is built up everywhere at all times.

धर्म अडिग हो धर्म अटल हो,
करुणा से पूरित हर पल हो,
आज अगर हम धर्म निभाएँ,
तभी सुरक्षित अपना कल हो।

स्वस्थ रहें।

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Monday, May 24, 2021

जय श्री हरि

*ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।*
*नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम्॥*

 हे उग्र एवं शूर-वीर महाविष्णु, आपका तेज एवं ताप चतुर्दिक फैला हुआ है। हे नरसिंह भगवान, आप सर्वव्यापी भद्र हैं, आप मृत्यु के भी यम हैं। मैं आपको नमन करता हूँ।

आज *भगवान नृसिंह प्राकट्य दिवस* (नरसिंह चतुर्दशी) पर भगवान के इस उग्र रूप से पृथ्वी पर आये महामारी रूपी संकट को मिटाने की प्रार्थना करते हैं।

व्याधियाँ इतनी बढ़ी है,
हर किसी के सर चढ़ी है,
दीप करता प्रार्थना है,
धैर्य रखने की घड़ी है।

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Sunday, May 23, 2021

प्रभु स्मरण

*ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।*
*मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः।।*

गीता : अध्याय ४, श्लोक ११।

श्री कृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि जो भक्त जिस प्रकार मेरी शरण लेते हैं अर्थात् स्मरण करते हैं, मैं उन्हें उसी प्रकार आश्रय देता हूँ। हे पार्थ! प्रत्येक व्यक्ति सभी प्रकार से मेरे पथ का ही अनुगमन करता है।

As all surrender or pray unto the Krishna, Krishna reward them accordingly. Everyone follows his path in all respects.

आएँ भज लें नित्य परम् को,
त्याग झूठ के भरम अहम को,
मार्ग सभी उस तक ही जाते,
ऐसा स्वयं कृष्ण बतलाते।

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Wednesday, May 19, 2021

स्वयं का आकलन

*मणिर्लुटति पादेन काच शिरसि धार्यते।*
*यथैवास्तु तथैवास्तु काचः काचो मणिर्मणि:॥*

मणि चाहे पैरों में पहनी हो और काँच के टुकड़े को सिर पर धारण किया हो तब भी मणि मणि रहती है एवम् काँच काँच।

A gem is trodden under foot and a glass is worn on the head. Even in that state a glass is glass and a gem is a gem. 


मूल्य स्वयं का जानें हम,
स्वयं स्वयं पहचानें हम,
परम् तत्व है अपने भीतर,
सत्य यही है मानें हम।


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Tuesday, May 18, 2021

इच्छा

*अधना धनमिच्छन्ति वाचं चैव चतुष्पदाः।*
*मानवाः स्वर्गमिच्छन्ति मोक्षमिच्छन्ति देवताः॥*

निर्धन व्यक्ति धन की कामना करते हैं और चौपाये अर्थात पशु बोलने की शक्ति चाहते हैं। मनुष्य स्वर्ग की इच्छा करता है और स्वर्ग में रहने वाले देवता मोक्ष-प्राप्ति की इच्छा करते हैं। इस प्रकार जो प्राप्त है, सभी उससे आगे की कामना करते हैं।

A poor wishes for wealth, an animal wishes if it could speak. Man desires heaven while the deities living in heaven desire salvation. Thus everyone wishes beyond what he has.

*सदा आगे बढेंगें हम,*
*यही बस लक्ष्य लेंगें हम,*
*सहायक दूसरों के हित,*
*नयी आशा बनेंगें हम।*

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