Wednesday, May 19, 2021

स्वयं का आकलन

*मणिर्लुटति पादेन काच शिरसि धार्यते।*
*यथैवास्तु तथैवास्तु काचः काचो मणिर्मणि:॥*

मणि चाहे पैरों में पहनी हो और काँच के टुकड़े को सिर पर धारण किया हो तब भी मणि मणि रहती है एवम् काँच काँच।

A gem is trodden under foot and a glass is worn on the head. Even in that state a glass is glass and a gem is a gem. 


मूल्य स्वयं का जानें हम,
स्वयं स्वयं पहचानें हम,
परम् तत्व है अपने भीतर,
सत्य यही है मानें हम।


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