Sunday, May 23, 2021

प्रभु स्मरण

*ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।*
*मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः।।*

गीता : अध्याय ४, श्लोक ११।

श्री कृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि जो भक्त जिस प्रकार मेरी शरण लेते हैं अर्थात् स्मरण करते हैं, मैं उन्हें उसी प्रकार आश्रय देता हूँ। हे पार्थ! प्रत्येक व्यक्ति सभी प्रकार से मेरे पथ का ही अनुगमन करता है।

As all surrender or pray unto the Krishna, Krishna reward them accordingly. Everyone follows his path in all respects.

आएँ भज लें नित्य परम् को,
त्याग झूठ के भरम अहम को,
मार्ग सभी उस तक ही जाते,
ऐसा स्वयं कृष्ण बतलाते।

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