*कबिरा सो धन संचिये, जो आगे को होय।* *सीस चढ़ाए पोटली, जात न देख्यो कोय।।*
कबीर कहते हैं कि उस धन का संचय करो जो भविष्य में अर्थात इहलोक में भी काम आये क्योंकि मृत्यु के पश्चात सर पर धन की गठरी बाँध कर ले जाते तो किसी को नहीं देखा।
One should collect the wealth of good deeds which can be used after death also as no body can take this physical wealth with him to another world.
सत्कर्म संचित करें।
शुभ दिन हो।
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