*नर तन सम नहिं कवनिउ देही। जीव चराचर जाचत तेही॥*
*नरक स्वर्ग अपबर्ग निसेनी। ग्यान बिराग भगति सुभ देनी॥*
तुलसीदास जी ने मनुष्य जन्म को श्रेष्ठ बताते हुए कहा है कि मनुष्य शरीर के समान कोई शरीर नहीं है। चर-अचर सभी जीव उसकी याचना करते हैं। यह मनुष्य शरीर ही नरक, स्वर्ग और मोक्ष की सीढ़ी है तथा कल्याणकारी ज्ञान, वैराग्य और भक्ति को देने वाला है॥
No creature is like human body. All creatures crave for him. This human body can take to hell, heaven or salvation, and gives wellness, knowledge, mortification and devotion.
स्वस्थ बनें।
शुभ दिन हो।
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