Tuesday, May 3, 2022

शुभ बुधवार

*ममैवांशो जीवलोके जीवभूत: सनातन:।*
*मन:षष्ठानीन्द्रियाणि प्रकृतिस्थानि कर्षति।।*

गीता : अध्याय 15, श्लोक 7।

गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं,
इस संसार में प्रत्येक जीव मेरा ही अंश है, और वह सनातन है। यही सनातन अंश इस प्रकृति में मन सहित छः इंद्रियों को स्वयं में आकर्षित करता है, अर्थात इस संसार को स्वयं का मान लेता है।

Shri Krishna says in Gita,
Every living being in this world is a part of me, and it is eternal. This eternal part attracts the six senses including the mind from this worldly nature and accepts this world as its own.

हम सब अंश परम के हैं,
मन में यह अभिमान करें,
स्वास्थ्य हमारा प्रथम धर्म,
योग करें हम ध्यान करें।

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Saturday, April 9, 2022

राम नवमी की शुभ कामनाये

*जोग लगन ग्रह बार तिथि, सकल भये अनुकूल।*
*चर अरु अचर हर्षजुत, राम जनम सुखमूल॥*

योग, लग्न, ग्रह, वार और तिथि सभी अनुकूल हो गये। जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गये। श्री राम का जन्म सभी सुखों को देने वाला  है॥

*नौमी तिथि मधु मास पुनीता।* *सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥*
*मध्यदिवस अति सीत न घामा।* 
*पावन काल लोक बिश्रामा॥*

*सीतल मंद सुरभि बह बाऊ।* *हरषित सुर संतन मन चाऊ॥*
*बन कुसुमित गिरिगन मनिआरा।* 
*स्रवहिं सकल सरिताऽमृत धारा।।*

चैत्र का पवित्र माह था, नवमी तिथि थी। शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित्‌ मुहूर्त था। दोपहर का समय था। न अधिक सर्दी थी, न अधिक धूप (गरमी) थी। वह पवित्र समय सब लोकों को शांति देने वाला था॥

शीतल, मंद और सुगंधित हवा बह रही थी। देवता हर्षित थे और संतों के मन में बड़ा चाव था। वन फल फूलों से लदे हुए थे, पर्वतों के समूह मणियों से जगमगा रहे थे और सारी नदियाँ अमृत की धारा बहा रही थीं॥

*आज माँ के सिद्धिदात्री स्वरूप का नमन करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के प्राकट्य दिवस रामनवमी की अनन्त शुभकामनाएँ।*

*राम सृष्टि के हर कण कण में,*
*राम बसे हैं जन गण मन में,*
*राम सहज हैं राम सुलभ हैं,*
*सरल हृदय को मिलते क्षण में।*

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Thursday, March 17, 2022

होली की शुभ कामनाये

*नाना वर्ण विराजते हि गगनं,*
               *सोल्लास सर्वे जनाः।*
*प्रतिबीथ्याभिषिक्तबालसुहृदा,*
                 *खेलन्ति रड़्गैर्मुदा।।*
*आशासे उत्सवमिदं प्रहरयेद्*
             *निखिलान् हि कष्टान्तव।*
*होल्योत्सवमेतत् हि स्यात्,*
            *सुसुफलं भूयोशुभाषंदा।।*

जिस होलिकोत्सव में आकाश विभिन्न वर्णों से विराजित होता है, सभी जन उल्लास से भरे रहते हैं। गली गली में रंगों से खेलते हुए बाल सखा आनन्दित होते हैं। ऐसा होलिकोत्सव हम सभी के कष्टों पर कठोर प्रहार कर हम सभी के जीवन को सफलताओं तथा शुभांषाओं से भर दे, ऐसी ईश्वर से प्रार्थना है।

This auspicious festival of colours _HOLI_ when the sky is full of different colours, all people are full of joy, may defeat all our sorrows and bring success and boons in our lives.

होली की अनंत शुभकामनाएँ।

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Sunday, March 6, 2022

हर हर महादेव

*ब्यापि रहेउ संसार महुँ, माया कटक प्रचंड।*
*सेनापति कामादि भट, दंभ कपट पाषंड॥*
*सो दासी रघुबीर कै समुझें मिथ्या सोपि।*
*छूट न राम कृपा बिनु नाथ कहउँ पद रोपि॥*

रामचरितमानस : उत्तरकाण्ड।

कागभुशुण्डि एवं गरुड़ संवाद।
माया की प्रचंड सेना संसार भर में फैली हुई है। कामादि (काम, क्रोध और लोभ) उसके सेनापति हैं और दम्भ, कपट, पाखंड आदि योद्धा हैं।
यह माया श्री रघुवीर की दासी है। यद्यपि समझ लेने पर यह माया मिथ्या है, किंतु श्री राम की कृपा के बिना इस माया से नहीं बचा जा सकता। हे नाथ! यह मैं प्रतिज्ञा करके कहता हूँ।

Maya's mighty army is spread all over the world. Lust, Anger and Greed are its commanders and arrogance, deceit, hypocrisy etc. are warriors.
This Maya is maidservant of Shri Raghuveer. Although this maya is false when understood, but without the grace of Shri Ram, this maya cannot be avoided.

राम कृपा से जीवन बदलें,
राम कृपा हृदय बसा लें।

आज उत्तरप्रदेश के 54 निर्वाचन क्षेत्रों में होने वाले चुनाव में अवश्य मतदान करें।

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Tuesday, March 1, 2022

सुख

*जो अति आतप ब्याकुल होई।*
*तरु छाया सुख जानइ सोई॥*
रामचरितमानस : उत्तरकाण्ड।

जो धूप से अत्यंत व्याकुल होता है, वही वृक्ष की छाया का सुख जानता है।

He who is distraught by the sun knows the pleasure of the shade of a tree.

हम अपने हित को पहचानें,
अपना हित किसमें हम जानें,
भले बुरे का भेद जानकर,
सुख सच्चा ही अच्छा मानें।

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Monday, February 28, 2022

महा शिवरात्रि की शुभकामनाये

साकार व निराकार परमात्मा के द्वंद्व को ध्यान में रखते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में (आठ श्लोक के रुद्राष्टकम् स्तोत्र में) परम शिव की स्तुति करते हुए ईश्वर का जो व्याख्यान किया है उससे साकार व निराकार के द्वंद्व को हम जैसे मूढ़ भी आसानी से समझ कर उस परम पिता परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

रुद्राष्टकम् का पंचम श्लोक :

*प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्‌।*
*त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम्‌॥5॥*

प्रचंड, श्रेष्ठ तेजस्वी, परमेश्वर, अखण्ड, अजन्मा, करोडों सूर्य के समान प्रकाश वाले, तीनों प्रकार के शूलों (दुःखों) को निर्मूल करने वाले, हाथ में त्रिशूलधारी, भाव मात्र से प्राप्त होने वाले, हे भवानी पति श्री शंकरजी, आपको मैं भजता हूँ।

Obstreperous (Rudrarupa), Majestic, Brilliant, Immortal, Unborn, Bright like crores of suns, Eliminator of all three types of Shulas (Sorrows), Holding Trishul in hand, to be attained through Bhava (love) only, I worship O, Bhavanipati Shankar.

महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर आएँ हम निराकार परमात्मा के साकार शिव रूप का ध्यान एवं स्तुति करें।

*शिव एवं सती के महामिलन के पर्व महाशिवरात्रि की कोटि कोटि शुभकामनाएँ।*

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Wednesday, February 23, 2022

माता पिता की सेवा

*मानहिं मातु पिता नहिं देवा। साधुन्ह सन करवावहिं सेवा॥*
*जिन्ह के यह आचरन भवानी। ते जानेहु निसिचर सब प्रानी॥*
रामचरितमानस : उत्तरकाण्ड।

निशिचरों अर्थात् असुरों की पहचान बताते हुए रामचरितमानस में तुलसीदास जी बताते हैं कि जो अपने माता पिता को ईश्वर तुल्य नहीं मानते और साधुओं एवं सज्जन पुरुषों (की सेवा करना तो दूर, उल्टे उन) से सेवा करवाते हैं, ऐसे आचरण के सब प्राणियों को राक्षस ही समझना चाहिए।

Persons who do not respect their parents and guardians and do not serve nobles, saints are to be considered as devils.

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Sunday, February 6, 2022

कर्म

*केवलं ग्रह नक्षत्रं न करोति शुभाशुभं।*
*सर्वमात्रकृतं कर्मं लोकवादो ग्रहा इति।।*

किसी व्यक्ति के जीवन में शुभ और अशुभ घटनाएँ उसके द्वारा किये हुए कर्मों से होती हैं और केवल ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव से नहीं होती हैं।
समाज में व्याप्त यह एक गलत धारणा मात्र है।

रामचरितमानस में भी गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है: 

*कादर मन कहुँ एक अधारा।*
*दैव दैव आलसी पुकारा।।*

यह दैव तो कायर के मन का एक आधार (तसल्ली देने का उपाय) है। आलसी लोग ही दैव-दैव पुकारा करते हैं।

Auspicious and inauspicious events in the life of men occur due to their actions and not simply due to influence of planets and stars as is the wrong perception in the society.
We should not leave every thing to the fate but perform virtuous deeds in our life.

पुरुषार्थ हमारा सहचर हो,
भाग्य भरोसे बस कायर हो,
व्यस्त रहें हम स्वस्थ रहें हम,
नाम राम का हर मुख पर हो।

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Friday, February 4, 2022

जय माँ सरस्वती

*सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम्।*
*देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जना:॥*

यदि वाणी का अनुग्रह हो तो सामान्य जन भी देवत्व से पूरित हो जाते हैं अर्थात् देव तुल्य बन जाते हैं।

वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती को नमन है।

If Speech of a person is well mannered, he will become a noble. I bow towards _Saraswati_ the Goddess of Speech.

बसंत के आगमन एवं सृष्टि के प्रारम्भ होने के इस विशेष दिवस _बसंत पंचमी_ पर माँ सरस्वती का वंदन कर अपनी वाणी में सदैव विराजित रहने की प्रार्थना करें।

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Tuesday, February 1, 2022

सत्य

*सत्यस्य वचनं श्रेयः सत्यादपि हितं वदेत्।*
*यद्भूतहितमत्यन्तं एतत् सत्यं मतं मम्।।* 
महाभारत : वनपर्व।

सत्य बोलना श्रेयस्कर है; परन्तु सत्य से भी अधिक ऐसा बोलना अच्छा है जिससे सभी प्राणियों का हित हो। क्योंकि जिससे सब प्राणियों का अत्यन्त हित होता है, वही हमारे मत से सत्य है।

Though telling the TRUTH is good but only that truth must be spoken which can benefit all. We believe,  that benefits all is only the Truth.

सत्य वही जो कल्याण करे,
हर जन के मन का त्राण हरे,
पर मिथ्या कब हितकारी है,
बस मौन सभी पर भारी है।