Monday, October 11, 2021

जय माँ कालरात्रि

*जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।*
*जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तु ते।*
(अर्गला स्तोत्र)

हे देवि चामुण्डे! (चण्ड मुण्ड विनाशिनी) आपकी जय हो। समस्त प्राणियों की पीड़ा हरनेवाली देवि! आपकी जय हो। हे सबमें व्याप्त रहने वाली देवि! आपकी जय हो। हे कालरात्रि ! आपको नमन करते हैं।


O Goddess Chamunde! (Chand Mund destroyer) Hail thee. O Goddess who removes the pain of all beings! Hail thee.
O Goddess who pervades all! Hail thee. 
O Kalratri! bows to you.

आज माँ आदिशक्ति के सप्तम स्वरूप कालरात्रि का पूजन अर्चन।

*रूप भयंकर धर आओ माँ,*
*सब कल्मष हर जाओ माँ।*

शक्ति संचय करें।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Sunday, October 10, 2021

जय माँ कात्यायनी

*जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।*
*दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।*
(अर्गला स्रोत्र)

हे विजय देने वाली, मंगल करने वाली, भय हरने वाली, दुष्टों का संहार करने वाली, कल्याण करने वाली, करूणा रखने वाली, क्षमा देने वाली, सभी प्रकार के ऐश्वर्य प्रदान करने वाली माँ दुर्गा आपको नमन करते हैं।

O giver of victory, bestower of auspiciousness, remover of fear, destroyer of wicked, doer of welfare, having compassion, giving forgiveness, bestowing all kinds of opulences, Maa Durga bows to you.

आज माँ आदिशक्ति के छठे स्वरूप कात्यायनी का पूजन वंदन।

*माँ आओ कर सिंह सवारी,*
*दूर करो माँ विपदा सारी।*

शक्ति संचय करें।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Saturday, October 9, 2021

जय माँ स्कन्दमाता

*सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।*
*भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवी नमोऽस्तु ते।*

हे सर्वस्वरूपा, सर्वेश्वरी तथा सब प्रकार की शक्तियों से सम्पन्न दिव्यरूपा दुर्गे देवी! सब प्रकार के भय से हमारी रक्षा कीजिये। आपसे यही प्रार्थना है।

O Omnipresence, Sarveshwari and Divya Roopa Durga Devi, endowed with all kinds of powers! Protect us from all kinds of fear. We pray to you.

आज माँ आदिशक्ति के स्कंदमाता स्वरूप का पूजन वंदन।

*हर भय से माँ अब दूर करो,*
*हर विपद हमारी दूर करो।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Friday, October 8, 2021

जय माँ

*रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।*
*त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥*

हे माँ! आप प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर देती हो और कुपित होने पर मनोवांछित सभी कामनाओं का नाश कर देती हो। जो आपकी शरण में हैं, उन पर विपत्ति तो आती ही नहीं। आपकी शरण में मनुष्य दूसरों को शरण देने वाले हो जाते हैं।

O mother! When you are happy, you destroy all diseases and when you are angry, you destroy all desires. Those who are in your shelter, there is no calamity on them. Even they become givers of shelter to others.

आज माँ आदिशक्ति के चंद्रघंटा एवं कूष्मांडा स्वरूप का पूजन नमन।

*शक्ति संचय करें।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Thursday, October 7, 2021

ब्रह्मचारिणी स्वरूप

*दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।*
*दारिद्र्य दु:ख भयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता॥*

हे माँ दुर्गे! आप स्मरण करने पर सब प्राणियों का भय हर लेती हैं और स्वस्थ पुरुषों द्वारा चिन्तन करने पर उन्हें परम कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करती हैं। 
दु:ख, दरिद्रता और भय हरने वाला आपके अतिरिक्त  दूसरा कौन है, जिसका चित्त सबका उपकार करने के लिए सदा ही आर्द्र रहता हो।

He Maa Durga! On remembering you, you take away the fear of all beings, and on contemplation by healthy men, you bestow them with supremely beneficial intelligence.
Who is the one who removes sorrow, poverty and fear other than you, whose heart is always moist to do everyone's favour.

आज शारदीय नवरात्रि पर्व के द्वितीय दिवस पर माँ आदि शक्ति के ब्रह्मचारिणी स्वरूप से प्रार्थना।

*शक्ति संचय करें।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Wednesday, October 6, 2021

आदि शक्ति

*रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।*

माँ आदि शक्ति से प्रार्थना:
हमें आध्यात्मिक रूप प्रदान कीजिये,
आध्यात्मिक विजय प्रदान कीजिये,
आध्यात्मिक यश प्रदान कीजिये एवं हमारे अंतस की बुराइयों को मिटा दीजिये।

Grant us Spiritual Beauty, 
Grant us Spiritual Victory, Grant us Spiritual Glory and Please Destroy our Inner Enemies.

*शक्ति संचयन के महापर्व शारदीय नौरात्रि में माँ आदिशक्ति के नौ स्वरूपों का पूजन अर्चन कर हम अपनी शक्तियों को संचित करें। माँ हम सभी को स्वास्थ्य, शक्ति एवं समृद्धि प्रदान करे।*

*माँ आदिशक्ति के शैलपुत्री स्वरूप को नमन।*

*आदर्श समाजवाद के प्रणेता अग्रसेन महाराज की 5145वीं जयन्ती पर समाज को संगठित एवं सामर्थ्यवान बनाने का संकल्प लें।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Tuesday, October 5, 2021

सदैव शुभ

*वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।*
*तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही।।*
गीता : अध्याय २, श्लोक २२।

जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीर को त्यागकर दूसरे नये शरीर को धारण करती है।

Just like people shed worn-out clothes and wear new ones, our soul casts off its worn-out body and enters a new one.

आज *सर्वपितृ अमावस्या* पर अपने पूर्वजों के स्वर्ग में अथवा इस पृथ्वी पर किसी और शरीर में होने के विश्वास को दृढ़ करते हुए, उनके आशीर्वाद को अनुभव करें। 

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

जय श्री राम

*समै समै सुंदर सबै, रूप कुरूप न कोय।*
*मन की रुचि जेत जितै, तित तेती रुचि होय।*
बिहारी सतसई

समय-समय पर सभी सुन्दर हैं, कोई सुन्दर और कोई कुरूप नहीं है। मन की प्रवृत्ति जिधर जितनी होती है, उधर उतनी ही आसक्ति होती है।

All are beautiful at times, nothing is beautiful ugly. Wherever there is tendency of the mind, there will be more attachment.

एक परम में ध्यान धरें,
व्यस्त रहें हम स्वस्थ रहें।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Saturday, October 2, 2021

गुण अवगुण

*भलेउ पोच सब बिधि उपजाये।*
*गनि गुन दोष बेद बिलगाये॥*
*कहहिं बेद इतिहास पुराना।*
*बिधि प्रपंचु गुन अवगुन साना॥*
रामचरित मानस : बालकाण्ड।

भला अथवा बुरा, सभी प्रकृति जनित हैं, किन्तु गुण और दोषों को विचार कर वेदों ने उनको अलग-अलग कर दिया है। वेद, इतिहास और पुराण कहते हैं कि यह सृष्टि गुण एवं अवगुण दोनों से भरी हुई है॥

All the Good and Evil is created by spreme power Nature and can be distinguished by their characteristics. It is well known truth that this world is full of Good and Bad both.

तुलसीदास जी ने आगे की चौपाइयों में अच्छे एवं बुरे के कई उदाहरण देते हुए इस कथन की पुष्टि की है।

दुख सुख पाप पुन्य दिन राती।
साधु असाधु सुजाति कुजाती।।
दानव देव ऊँच अरु नीचू। 
अमिअ सुजीवनु माहुरु मीचू।।
माया ब्रह्म जीव जगदीसा।
लच्छि अलच्छि रंक अवनीसा।।
कासी मग सुरसरि क्रमनासा।
मरु मारव महिदेव गवासा।।
सरग नरक अनुराग बिरागा।
निगमागम गुन दोष बिभागा।।

*ज्यों काँटों की चुभन मिली, फूलों की मुस्कान को,*
*भला बुरा दोनों है जग में, मानें परम विधान को,*
*भेद करें हम, भले बुरे में, समझें निज कल्याण को,*
*है आवश्यक सामंजस्य, जीवन में उत्थान को।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Friday, October 1, 2021

आत्म सन्तोष

*असन्तोषः परं दुःखं सतोषः परमं सुखं।*
*सुखार्थी पुरुषस्तस्यात्सन्तुष्टः सततं भवेत् ।।*

जो व्यक्ति संतोषी नहीं होता है वह सदैव ही अत्यन्त दुःखी रहता है और जो व्यक्ति संतोषी होता है वह परम सुख का अनुभव करता है। अतएव सुख की कामना करने वाले व्यक्ति को सदैव संतुष्ट रहना चाहिए।

The person who is not satisfied is always very unhappy and the person who is content feels the ultimate happiness. Therefore a person who desires happiness should always be satisfied.

*आज महात्मा गाँधी एवं लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिन पर हम सभी अपने राष्ट्र हेतु समर्पित होने का संकल्प लें।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼