Wednesday, September 15, 2021

ॐ नमो भगवते वासुदेव

*योगस्थ: कुरु कर्माणि संग्ङंत्यक्त्वा धनंजय।*
*सिद्ध्यसिद्ध्यो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥*
गीता अध्याय २ श्लोक ४८

परमयोगीश्वर भगवान कृष्ण समझा रहे हैं कि
हे धनंजय। कर्म न करने का आग्रह त्यागकर, सफलता असफलता, यश-अपयश के विषय में समबुद्धि होकर योग युक्त होकर, कर्म कर, (क्योंकि) समत्व को ही योग कहते हैं।

We should perform
our duties established in Yoga, renouncing attachment, and eventempered in success and failure; Envenness of temper is called yoga.

*कर्तव्य सदा निर्वाह करें,*
*व्यस्त रहें हम स्वस्थ रहें।*

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Tuesday, September 14, 2021

जय गणपति

*यमर्थसिध्दि: परमा न मोहयेत्*
*तथैव काले व्यसनं न मोहयेत्।*
*सुखं च दु:खं च तथैव मध्यमं*
*निषेवते य: स धुरन्धरो नर:॥*

जिसको सफलता, विफलता विचलित न कर सके,
किसी समय विपत्ति भी विचलित न कर सके तथा जो सुख दु:ख को और उनके बीच की स्थिति को समय के अनुसार सहन कर लेता है, वही मनुष्य धुरन्धर अथवा नेतृत्व करने वाला होता है।

One who is not affected with success and failure, is not affected by any misfortune, and who manages in joy and grief and the mean time equally is the true leader.

सफल विफल से न डरें हम,
श्रेष्ठ बनें नेतृत्व करें हम,
*व्यस्त रहें हम स्वस्थ रहें हम।*

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Monday, September 13, 2021

हिंदी दिवस की शुभकामनाएं

*निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।* 
*बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।*
भारतेन्दु हरिश्चंद्र।

भारत में हिंदी को एक संवैधानिक भाषा के रूप में आज के दिन वर्ष 1949 में अपनाया गया। 
आएँ आज हिंदी दिवस पर हम हिंदी का अधिकाधिक प्रयोग करने हेतु प्रतिबद्ध हों, संकल्पित हों।

*हम हिंदी में काम करें,*
*हिंदी पर अभिमान करें,*

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Thursday, September 9, 2021

श्री गणेश चतुर्थी

*एकदन्तं महाकायं लम्बोदर गजाननम्।*
*विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥*

एक दाँत से सुशोभित, विशाल शरीर वाले, बड़े उदर वाले (सभी बातों को उदरस्थ करने वाले), गज के मुख वाले एवं समस्त विघ्नों के विनाशकर्ता दिव्य भगवान हेरम्ब को प्रणाम करता हूँ।

आएँ हम आज *गणेश चतुर्थी* इस विशेष अवसर पर अपने जीवन में गणेश को स्थापित करें एवं भगवान हेरम्ब हमारे सभी कार्यों को अभीष्ट सफलता प्रदान करे। 

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Wednesday, September 8, 2021

हरतालिका तीज

*इहैव तैर्जितः सर्गो येषां साम्ये स्थितं मनः।*
*निर्दोषं हि समं ब्रह्म तस्माद्ब्रह्मणि ते स्थिताः।।*
गीता : अध्याय ५, श्लोक १९।

जिस मनुष्य का मन सम-भाव में स्थित रहता है, उसके द्वारा जन्म-मृत्यु के बन्धन रूपी संसार को जीत लिया जाता है क्योंकि वह ब्रह्म के समान निर्दोष एवं सम होता है और सदा परमात्मा में ही स्थित रहता है।

तुलसीदास जी ने भी इस तथ्य को सरल शब्दों में कहा है:
*समरथ कहुँ नहि दोष गुसाईं।*
*रवि पावक सुरसरि की नाईं।*
  
Those whose minds are established in sameness and equanimity have already conquered the conditions of birth and death. They are flawless like Almighty, and thus they are already situated in Almighty.

आज *हरतालिका तीज* पर माँ भवानी सभी अभीष्ट प्रदान करें, ऐसी शुभकामनाएँ।

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Saturday, September 4, 2021

शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं

*अपूर्व: कोपि कोशोयं विद्यते तव भारति।*
*व्ययतो वृद्धिमायाति क्षयमायाति संचयात्॥*

विद्या रूपी कोष अपूर्व है, आश्चर्य जनक है। विद्या का उपयोग करने से एवं दूसरों में बाँटने से वह बढ़ती है। इसके विपरीत संग्रहित करने से क्षीण होती जाती है।

The knowledge has different characteristics. It increases while being spent and decreases while being kept unused.

शिक्षा का उपयोग करें,
अधिकाधिक सहयोग करें,
सीखें भी सिखलाएँ भी,
विद्या को फैलाएँ भी।

आज *शिक्षक दिवस* पर सभी सीखाने वाले शिक्षकों को नमन करते हुए शिक्षा के अधिकाधिक प्रचार प्रसार हेतु संकल्पित हों।

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Sunday, August 29, 2021

श्री कृष्णा जन्मोत्सव

*यदा-यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।*
*अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्‌॥*
*परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।*
*धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥*
गीता : अध्याय ४, श्लोक ७-८।

*जब जब होय धर्म की हानी,* 
*बाढ़हिं असुर, अधम, अभिमानी,*
*तब तब प्रभु धर विविध शरीरा,* 
*हरहि कृपानिधि, सज्जन पीरा।*
रामचरितमानस : बालकाण्ड

भगवान श्री कृष्ण ने सम्पूर्ण मानव जाति को यह आश्वासन देते हुए कहा है कि
जब जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात्‌ साकार रूप में लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ। सज्जन पुरुषों की रक्षार्थ, पाप कर्म करने वालों को नष्ट करने के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं युग-युग में अर्थात् हर समय प्रकट होता हूँ। 

The assurance of _Krishn_ to all mankind is, "Whenever virtue subsides and wickedness prevails, I manifest Myself. To establish virtue, to destroy evil, to save the good I come at every Yuga (age).

आज श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर परमसत्ता के इस सङ्कल्प को स्वयं में अवतरित करें, जो हमारी समस्त बुराइयों को नष्ट कर दे।

*श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।* 

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Friday, July 30, 2021

जय श्री राम

*नाथ सुहृद सुठि सरल चित, सील सनेह निधान।*
*सब पर प्रीति प्रतीति जियँ, जानिअ आपु समान॥*
रामचरित मानस : अयोध्या काण्ड।

परम सत्ता की विशेषताएँ बताते हुए तुलसीदास जी कहते हैं कि हे नाथ! आप परम सुहृद् (बिना ही कारण परम हित करने वाले), सरल हृदय तथा शील और स्नेह के भंडार हैं, आपका सभी पर प्रेम और विश्वास है, और अपने हृदय में सबको अपने ही समान जानते हैं।

The Almighty has supreme and simple heart full of modesty and affection, and also has love and faith in all knowing everyone.

*परम दया के हैं आगार,*
*करुणा के अतिशय भण्डार,*
*हितकारी हम सबके हैं,*
*नित्य परम को नम: कार।*

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Saturday, July 24, 2021

हर हर महादेव

*जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं,*
*प्रेम गली अति साँकरी, ता में दो न समाहिं।*

कबीर जी ने परम की प्राप्ति हेतु स्वयं के पूर्ण समर्पण की व्याख्या करते हुए कहा है कि मैं अर्थात अपने अहम को जब तक नहीं हटाते, उस परम की प्राप्ति नहीं हो सकती क्योंकि यह राह बहुत संकरी है इसमें केवल एक ही परम अथवा अहम ही समा सकते हैं।

Saint KABIR has explained the way to find Almighty by eliminating self with an example of a very narrow passage of love through which only one can pass either self or Almighty.

*अहम त्याग दें, मास अहम है,*
*सावन में शिव शक्ति परम है,*
*गुरु की शिक्षा साथ सदा हो,*
*संचित कर लें जो भी कम है।*

आज से प्रारम्भ शिव आराधना के श्रावण मास में स्वास्थ्य साधना करें।

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Wednesday, July 21, 2021

हर हर महादेव

सावन 2021
25 जुलाई से 22 अगस्त तक रहेगा सावन, पहले सोमवार को करें बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक
जानें विधि विधान से पूजन के बारे में
सावन में चार सोमवार पड़ रहे हैं। प्रथम सोमवार 26 जुलाई, द्वितीय सोमवार 2 अगस्त, तृतीय सोमवार 9 अगस्त एवं चतुर्थ सोमवार 16 अगस्त को है। संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत 27 जुलाई मंगलवार को, नाग पंचमी 28 जुलाई बुधवार, कामदा एकादशी व्रत चार अगस्त बुधवार को है।
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी। भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास में व्रत, दर्शन और पूजन से सभी मनोरथ पूर्ण होंगे। सावन में इस बार चार सोमवार पड़ रहे हैं और इसमें भगवान शिव का विशेष पूजन अनुष्ठान व्रत करने का विशेष फल मिलता है। श्रावण मास रविवार से शुरू होकर रविवार को ही समाप्त हो रहा है। सावन 25 जुलाई से आरंभ होकर 22 अगस्त तक रहेगा।
ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि भगवान शिव के दर्शन पूजन, अर्चना एवं व्रत से जीवन में सर्व संकटों के निवारण के साथ अभीष्ट की प्राप्ति होती है। सावन में चार सोमवार पड़ रहे हैं। प्रथम सोमवार 26 जुलाई, द्वितीय सोमवार 2 अगस्त, तृतीय सोमवार 9 अगस्त एवं चतुर्थ सोमवार 16 अगस्त को है। संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत 27 जुलाई मंगलवार को, नाग पंचमी 28 जुलाई बुधवार, कामदा एकादशी व्रत चार अगस्त बुधवार को है। शिवजी की प्रसन्नता के लिए किए जाने वाला प्रदोष व्रत 5 अगस्त गुरुवार तथा 20 अगस्त शुक्रवार को रखा जाएगा।
महाशिवरात्रि भी इस बार 6 अगस्त शुक्रवार को पड़ रही है। इसके अतिरिक्त हरियाली अमावस्या 8 अगस्त रविवार को है। इन दिनों शिव भक्त भगवान शिव का विशेष दर्शन पूजन एवं व्रत रखकर मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं। नाग पंचमी 13 अगस्त शुक्रवार को मनाई जाएगी तथा इस मास का प्रमुख पर्व रक्षाबंधन 22 अगस्त रविवार को हर्षोल्लास के साथ मनेगा।
काशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री ज्योतिषाचार्य पं. दीपक मालवीय ने बताया कि श्रद्धालुओं को शिव कृपा प्राप्त करने के लिए प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सायं काल प्रदोष काल में भगवान शिव की पंचोपचार व षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए भगवान शिव को प्रिय धतूरा, बेल पत्र, मदार की माला, भांग, ऋ तु फल, दूध, दही, चीनी, मिश्री, मिष्ठान आदि अर्पित करना चाहिए। भगवान शिव की महिमा में शिव मंत्र, शिव स्तोत्र, शिव चालीसा, शिव साधना एवं शिव महिमा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शिवपुराण में वर्णित मंत्र को विशेष फलदायी माना गया है।
पार्थिव शिवलिंग का करें पूजन
ज्योतिषाचार्य पं. जैन ने बताया कि सावन में मंत्र ऊं नम: शिवाय शुभम शुभम कुरु कुरु शिवाय नम: ओम  या ऊं नम: शिवाय का अधिकतम संख्या में जप करना चाहिए। श्रावण मास में शिव जी की कृपा प्राप्त करने के लिए नित्य प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधि विधान पूर्वक उनकी पूजा करनी चाहिए। आरोग्य सुख एवं व्याधियों की निवृत्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। आर्थिक समृद्धि के लिए शिव स्तोत्र का पाठ साथ ही शिवजी का गन्ने के रस से अभिषेक करना चाहिए। कुंवारी कन्याओं को वर की प्राप्ति के लिए श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार का व्रत करना चाहिए और शिव जी का दूध से अभिषेक करना चाहिए।
प्रदोष एवं चतुर्दशी व्रत है फलदायी
सोमवार, प्रदोष एवं शिव चतुर्दशी व्रत रखना विशेष फलदायी रहता है। जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प योग है उन्हें नाग पंचमी के दिन शिव पूजा करके नाग नागिन का जोड़ा शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। जिन्हें जन्म कुंडली के मुताबिक शनि ग्रह की महादशा अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा चल रही हो उन्हें शनि ग्रह की साढ़ेसाती या ढैया हो उन्हें श्रावण मास में विधि विधान पूर्वक व्रत उपवास रखकर भगवान शिव की पूजा अवश्य करनी चाहिए।