Tuesday, May 26, 2020

आवेश

*सहसा विदधीत न क्रियामविवेकः परमापदां पदम्।*
*वृणते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः स्वयमेव संपदः।।*

आवेश में आ कर बिना सोचे समझे कोई कार्य नहीं करना चाहिए। 
विवेकशून्यता बड़ी विपत्तियों का द्वार है। 
जो व्यक्ति सोच समझकर कार्य करता है; गुणों से आकृष्ट होने वाली माँ लक्ष्मी स्वयं ही उसका चुनाव कर लेती है |

One should not indulge in action in a hurry.
Indiscretion becomes a step towards extreme troubles.
Glory (good results) always enticed by virtuosity prefer one who exercises discretion.

*विवेक साथ हो सदा,*
*निभाएँ हरेक कायदा,*
*सभी मिलें तो दूर से,*
*विनाश कौन कर सके।*

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Monday, May 25, 2020

आलस्य का त्याग

*श्रेयांसि च सकलान्यनलसानां हस्ते नित्यसान्निद्ध्यानि I*

इस संसार की सकल संपत्ति एवं श्रेय उन्हीं के हाथ में होता है जो सदैव आलस्य का त्याग कर कर्म में उद्यत रहते हैं।

The gross wealth and credit of this world is in the hands of those who always abandon laziness and remain engaged in _karma_ means action.

*स्व में स्थित घर में स्थित हो*
*इस शत्रु से जीत निश्चित हो।*

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Sunday, May 24, 2020

संगति

*संसारकटुवृक्षस्य द्वे फले   अमृतोपमे।*                                                                                                                         *सुभाषितरसास्वादःसङ्गतिः सुजने जने।।*                                           
 
संसार रुपी कड़ुवे पेड़ से अमृत तुल्य दो ही फल उपलब्ध हो सकते हैं, एक है मीठे बोलों का रसास्वादन और दूसरा है सज्जनों की संगति।

Only two fruits like nectar can be available from this bitter tree of the world, one is the taste of gentle words and other is the company of nobles.

*परिवर्तन जो भी होता है,*
*बीज सृजन के भी बोता है,*
*फिर अपनाएँ चलन पुराने,*
*नित्य प्रार्थना भजन सयाने।*

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Saturday, May 23, 2020

कीर्ति

*औचित्य प्रच्युताचारो युक्ता स्वार्थं न साधयेत्।*
*व्याजबालिवधेनैव  रामकीर्तिः कलङ्किता।।*

नैतिक रूप से अनुचित एवम् अशोभनीय कृत्य द्वारा अपने स्वार्थ की पूर्ति कभी नहीं की जाए।
वानरराज बालि (जिसने अपने अनुज की पत्नी हरण का अक्षम्य अपराध किया था) का वध छल से करने के कारण भगवान श्री राम की कीर्ति भी कलंकित हो गयी थी।

One should never take recourse to morally very low and unfair means to achieve his objectives.
By killing Baali, the King of Vanars (who had kidnapped his brother's wife), in a clandestine manner, even Lord Ram's name and fame was tarnished.

*हमने संयम सीखा है,*
*रहना घर में सीखा है,*
*स्वच्छ रहें अरु स्वस्थ रहें,*
*व्यस्त रहें अरु मस्त रहें।*

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Friday, May 22, 2020

साधना

*शिक्षा क्षयं गच्छति कालपर्ययात् सुबद्धमूला निपतन्ति पादपाः।*
*जलं जलस्थानगतं च शुष्यति हुतं च दत्तं च तथैव तिष्ठति।।*
             (कर्णभारम्-२२)

समय के साथ शिक्षा का क्षय हो जाता है, अच्छी तरह जड़ से जमा हुआ वृक्ष भी धराशाई हो जाता है। जलाशय में रहा पानी भी समय के साथ कालांतर मे सूख जाता है, परंतु यज्ञ की अग्नि में समर्पित आहूति और दिया गया दान कभी नष्ट नहीं होता, सदैव ही शाश्वत रहता है।

Over time, education disappears, a tree that is well-rooted also collapses. The water in the reservoir dries out over time, but the sacrificial offering in the fire of a _yajna_ and donation given are never destroyed, remain always in perpetuity.

*करी साधना घर रह कर,*
*स्वस्थ रखेगी जीवन भर,*
*निज स्वास्थ्य का ध्यान रखें,*
*घर पर रुक कर स्वस्थ रहें।*

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Thursday, May 21, 2020

उदारता

*पत्रपुष्पफलच्छायामूलवल्कलदारुभिः।*
*धन्यामहीरुहा येभ्यो निराशा यान्ति नाऽर्थिनः।।*
                                             
धन्य हैं वे वृक्ष जो अपने पत्तों, फूलों, फलों, जड़ों, छाल, लकड़ी और छाया से प्राणिमात्र की सहायता करते हैं और उनके पास से कोई भी याचक निराश नहीं लौटता है।

Blessed are the trees, who help all the living beings by providing their leaves, flowers, fruits, roots, bark and cool shade, and nobody  returns with empty hands.

*बड़ अमावस्या, वट सावित्री एवं शनि जयन्ति के इस विशेष पर्व पर सभी के सौभाग्य में वृद्धि हो ऐसी शुभकामनाएँ*

*हृदय उदारता भरें,*
*मनुष्यता मनुज धरें,*
*समस्त रोग से लड़ें,*
*निरोग हम सभी रहें।*

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Wednesday, May 20, 2020

प्रकार

*ऐश्वर्यमल्पमेत्य प्रायेण हि दुर्जनो भवति मानी।*
*सुमहत्प्राप्यैश्वर्यं प्रथमं प्रतिपद्यते  सुजनः।।*

दुर्जन, थोड़ा सा भी ऐश्वर्य पा कर प्रायः बहुत ही गर्वीले और चञ्चल (अधीर) हो जाते हैं, परन्तु सज्जन बहुत अधिक ऐश्वर्यवान हो कर भी शान्त और मृदुल स्वभाव के ही बने रहते हैं।

(तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस में कहा है :
*छुद्र नदी भरि चली तोराई।* 
*जस थोरहु धन खल इतराई।।*)

A wicked person having acquired even a bit of prosperity and power becomes very capricious and proud, whereas a noble person even after acquiring abundant power and prosperity still remains very calm and quiet.

*अपना अपना ध्यान रखें,*
*एक नियम का मान रखें,*
*व्यर्थ नहीं बाहर विचरें,*
*भीड़ भाड़ से दूर रहें।*

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Tuesday, May 19, 2020

विचार

*मनस्यन्यद्वचस्यन्यत्कार्ये चाऽन्यदुरात्मनाम् ।*
*मनस्येकं वचस्येकं कर्मण्येकं महात्मनाम् ।।*

दुष्ट और नीच व्यक्तियों के विचार कुछ और होते है पर वे कहते कुछ और ही हैं और करते भी कुछ और ही हैं। इसके विपरीत सज्जन और महान् व्यक्ति जो सोचते हैं वही कहते हैं और करते भी वही हैं।

The thoughts of wicked and mean persons are different than what they speak and ultimately do, whereas the thoughts, their expression and subsequent action by the noble and righteous persons are always the same.

*नियम सदा ही पालें हम,*
*अपना स्वास्थ्य सम्भालें हम,*
*मुँह पर मास्क लगालें हम,*
*घर से जाना टालें हम।*

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Monday, May 18, 2020

वाणी

*वाणी रसवती यस्य*
*यस्य श्रमवती क्रिया।*
*लक्ष्मी: दानवती यस्य* *सफलं तस्य जीवितम्॥*

जिस मनुष्य की वाणी मीठी है, जिसका कार्य परिश्रम से युक्त है, जिसका धन दान करने में प्रयुक्त होता है, उसका जीवन सफल है।

The person whose speech is sweet, whose work is full of hard work, whose money is used for noble causes, his life is successful.

*एक महामारी आयी है,*
*सारी दुनिया घबरायी है,*
*हमने खूब तपस्या की,*
*रीति बदल दी जीने की,*
*एक नया सोपान चढ़ें,*
*नया कीर्तिमान गढ़ें।*

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Sunday, May 17, 2020

कर्म

*आस्ते भग आसीनस्य, ऊर्ध्वंतिष्ठति तिष्ठतः ।*
*शेते निपद्यमानस्य, चरति चरतो भगः।*
*चरैवेति चरैवेति॥*

जो मनुष्य (कुछ काम किये बिना) बैठता है, उसका भाग्य भी बैठ जाता है। जो उठ खड़ा होता है, उसका भाग्य भी उठ जाता है। जो सोता है, उसका भाग्य भी सो जाता है एवम् जो चलने लगता है, उसका भाग्य भी चलने लगता है। 

अर्थात् कर्म से ही भाग्य है।

A person who sits (without doing anything), his fate also doesn't work. The one who is ready to work, his fate also starts working. 
The doers are helped with luck/ fate. The fate doesn't help undoer. 

*माना घर में ही रहना है,*
*किन्तु न कर्म कभी तजना है,*
*घर में रहकर काम करें,*
*निज स्वास्थ्य का ध्यान धरें।*

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