Tuesday, November 9, 2021

जय छठी मैया

*ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं।*
*अर्घ्यं च फलं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम्।।*

हे सूर्य देव! हम आपको सुगंधित पुष्प फल माला अक्षत से परिपूरित पूर्ण श्रद्धा से अर्घ्य अर्पित करते हैं, आप इसे ग्रहण कर हम पर करुणा करो।

O Sun God! We offer you arghya with full devotion, complemented by fragrant flowers fruits garlands, kindly accept and bless us.

*सूर्योपासना के महापर्व सूर्य षष्ठी (छठ पूजा) पर आज अस्ताचलगामी सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देते हुए जीवन में इस विश्वास को दृढ़ करें कि अस्त हुआ सूर्य पुनः नयी आभा के साथ उदय होता है।*

छठी मैया सभी के जीवन में उल्लास एवं स्वास्थ्य भर दे।

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Saturday, November 6, 2021

शुभ रविवार

*एहि तन कर फल बिषय न भाई।*
*स्वर्गउ स्वल्प अंत दुखदाई॥*
*नर तनु पाइ बिषयँ मन देहीं।*
*पलटि सुधा ते सठ बिष लेहीं॥*

रामचरित मानस : उत्तरकांड।

मानव शरीर मिलने का उद्देश्य विषयभोग नहीं है, स्वर्ग का भोग भी थोड़ा लगता है और अंत में दुःख देने लगता है। अतः यदि मनुष्य शरीर पाकर भी विषयों में मन लगाने वाले, किसी मूर्ख के समान अमृत के बदले विष लेने के समान है।

The cause to the human birth is not to be indulged in material things/ pleasures, even pleasure of heaven may seem insufficient and later caused sufferings only. Hence if a human indulge in material things/ pleasures is like a fool who takes venom against nector.

*मिला मनुज तन गर्व करें हम,*
*विषय भोग में क्यों उलझें हम,*
*सत्कर्मों में व्यस्त रहें हम,*
*यह उद्देश्य पूर्ण करें हम।*

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Friday, November 5, 2021

श्री चित्रगुप्त पूजन

*असद्भिः शपथेनोक्तं जले लिखितमक्षरम्।*
*सद्भिस्तु लीलया प्रोक्तं शिलालिखितमक्षरम्॥*

असभ्य ( दुष्ट स्वभाव के) व्यक्तियों द्वारा किसी कार्य को करने हेतु ली गयी शपथ जल में लिखे गये अक्षरों के समान (अस्थायी) होती है ,अर्थात वे उसका अनुपालन नहीं करते हैं। इस के विपरीत सभ्य (सज्जन और सत्यवादी) व्यक्तियों द्वारा हँसी मजाक में भी कही हुई कोई बात एक शिलालेख के समान (स्थायी) होती है,
अर्थात वे जो कहते हैं उसे अवश्य पूरा कर के दिखाते हैं।

The commitments made by persons of evil temperament even under oath are just like words written on the surface of water (which
disappear immediately) and are not honoured by them.  On the other
hand commitments made by upright and truthful persons even casually are like the words engraved on a slab of stone (permanent) and are duly honoured by them.

*पञ्च दिवसीय दीप पर्व के समापन दिवस यम द्वितीया (भाई दूज) पर प्रत्येक भाई एवं बहिन स्वस्थ और संपन्न बने यही प्रार्थना।*

*आज चित्रगुप्त पूजन पर आएँ सदैव सत्कर्मों में रत रहने हेतु संकल्पित होवें।*

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Thursday, November 4, 2021

गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं

*अब कुसल कौसलनाथ आरत जानि जन दरसन दियो।*
*बूड़त बिरह बारीस किरपानिधान मोहि कर गहि लियो॥*
रामचरित मानस : लंकाकांड।

(भगवान राम के वनवास से लौटने पर भरत ने कहा-) हे कोसलनाथ! आपने दुःखी जानकर मुझ दास को दर्शन दिये, जिससे अब मैं कुशल हूँ। इस विरह सागर में डूबते हुए को आपने हाथ पकड़कर बचा लिया॥

(On the return of Lord Ram from exile, Bharat said) O Kosalnath! Knowing my grief, you came and meet me, now I am well. You saved me by holding my hand while drowning in this parting ocean.

 हम भगवान राम के आगमन को अनुभव करते हुए अपने सभी दुःखों से मुक्त हों, स्वस्थ हों, यही शुभेच्छा।

गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट महोत्सव की शुभेच्छाएँ।

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Wednesday, November 3, 2021

दीपावली की शुभकामनाएं

*दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।*
*दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते।।*

*तमसो मा ज्योतिर्गमय*

अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ें।

Come, walk towards LIGHT from Darkness.

*दीप पर्व है दीप जलाएँ,*
*अंधकार को आज हराएँ,*
*आलोकित करने हर जीवन,*
*आएँ हम दीपक बन जाएँ।*

उत्साह, उमंग, आलोक के इस महापर्व *दीप पर्व* पर हम सभी के जीवन में दैवीय प्रकाश बढ़े, यही प्रार्थना।

*शुभ दीपावली*
*स्वस्थ दीपावली*
*मंगल दीपावली*

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Tuesday, November 2, 2021

शुभ छोटी दीपावली

*अग्निर्देवो द्विजातीनां, मुनीनां हृदि दैवतम्।*
*प्रतिमा स्वल्पबुद्धीनां, सर्वत्र समदर्शिनः।।*
चाणक्य नीति

द्विजों अथवा ब्राह्मणों के लिए अग्नि भगवान है। 
मुनियों का भगवान उनके हृदय में स्थित है। 
अल्पबुद्धि लोगों का भगवान प्रस्तर प्रतिमा अर्थात मूर्ति में स्थित है। 
और जो समदर्शी हैं उनके लिए भगवान सर्वत्र हैं।

For the brahmins, fire is God; 
for the ascetics, the Lord is in their hearts; for those with little insight, it is in the statue; for those with equanimity, He is everywhere!

पञ्च दिवसीय सम्पूर्ण महापर्व *दीपावली* (स्वास्थ्य, रूप, समृद्धि, उल्लास एवं सुरक्षा हेतु आराधना का पर्व) के द्वितीय दिवस *रूप चतुर्दशी*, काली चौदस एवम् छोटी दीपावली पर हम सभी स्वस्थ एवं रूपवान बनें।

🙏🏼🙏🏼 *शुभ दीपावली* 🙏🏼🙏🏼

Monday, November 1, 2021

शुभ धनतेरस

*सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।* 
*सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।*

सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।

May all be happy, be free from all diseases, be a witness to all auspicious and no one has to become a partaker of sorrow.

पञ्च दिवसीय सम्पूर्ण महापर्व *दीपावली* (स्वास्थ्य, रूप, समृद्धि, उल्लास एवं सुरक्षा हेतु आराधना का पर्व) के प्रथम दिवस, भगवान धन्वन्तरि के प्राकट्य दिवस *धनतेरस* पर हम सभी स्वास्थ्य रूपी धन से पूरित हों।

🙏🏼🙏🏼 *शुभ धनतेरस* 🙏🏼🙏🏼

Sunday, October 31, 2021

प्रभु भक्ति

*ऊँ विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परा सुव।*
*यद् भद्रं तन्न आ सुव।।*

ऋग्वेद : मण्डल ५, सूक्त ८२/५.

हे सब सुखों के दाता ज्ञान के प्रकाशक सकल जगत के उत्पत्तिकर्ता एवं समग्र ऐश्वर्ययुक्त परमेश्वर! आप हमारे सम्पूर्ण दुर्गुणों, दुर्व्यसनों और दु:खों को दूर कीजिये, और जो कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव, सुख और पदार्थ हैं, हमें प्रदान कीजिये।

O the giver of all pleasures, the illuminator of knowledge, the creator of the whole world and the God of all opulence! Kindly take away all our vices, addictions and sorrows, and bestow upon us the beneficial qualities, deeds, nature, pleasures and substances.

आज *रमा एकादशी* से प्रारम्भ होने वाले दीपों के महोत्सव में माँ लक्ष्मी हम सभी को स्वस्थ और समृद्ध बनाए।

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Thursday, October 28, 2021

जय माँ

*अपवक्ता हृदयाविजश्चित्।* (ऋग्वेद 1/24/8)

उन सभी कुत्सित विचारों को त्याग दीजिये जो आत्मा को कष्ट दे अथवा नष्ट कर दे।

Abandon all sorrowful thoughts which may trouble or destroy the soul.

*हम ईश्वर की संतानें,*
*नित्य स्वयं को पहचानें।*

स्वस्थ रहें।

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Wednesday, October 27, 2021

स्वयं

*मुक्ताभिमानी मुक्तो हि बद्धो बद्धाभिमान्यपि।*
*किवदन्तीह सत्येयं या मतिः सा गतिर्भवेत्॥१-११॥*
अष्टावक्र गीता

स्वयं को मुक्त मानने वाला मुक्त ही है और बद्ध मानने वाला बंधा हुआ ही है, यह कहावत सत्य है कि जैसी बुद्धि होती है वैसी ही गति होती है।

If you think you are free you are free. If you think you are bound you are bound. It is rightly said: You become what you think.

*ईश पुत्र हम मानें हम,*
*निज मन को पहचानें हम,*
*मुक्त स्वयं को समझें हम,*
*स्वयं स्वयं को जानें हम।*

आज *अहोई अष्टमी* पर सभी संतानों के स्वास्थ्य की रक्षा हो एवं व्रतधारिणी माताओं के अभीष्ट पूर्ण हों।

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