Friday, May 15, 2020

संयम

*यस्मै देवाः प्रयच्छन्ति पुरुषाय प्रराभवम्।*
*बुद्धिं तस्यापकर्षन्ति सोऽवाचीनानि पश्यति।।*

To make defeat one's fate, God snatches his wisdom first. Thus he does not see any good aspect of life, he can only see bad and bad.

जिसके भाग्य में पराजय हो, ईश्वर उसकी बुद्धि पहले ही छीन लेते हैं, इससे उस व्यक्ति को अच्छी बातें नहीं दिखायी देती, वह केवल बुरा-ही-बुरा देख पाता है।

*संयम का व्रत रखें सदा*
*अच्छा अच्छा लखें सदा*
*घर में रहना अभी जरूरी*
*भीड़ भाड़ से रखना दूरी*

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Thursday, May 14, 2020

मूर्खो से बचे

*मूर्खेण सह संयोगो विषादपि सुदुर्जरः।*
*विज्ञेन सह संयोगः सुधारससमः स्मृतः॥*

मूर्खों से सम्पर्क विष से भी अधिक अनिष्टकारी होता है और इसके विपरीत विद्वानों का सम्पर्क अमृत तुल्य माना गया है।

To befriend and deal with a fool will do greater damage than poison. But accompany with a wise man is similar to have nectar.

*खतरा अभी टला नहीं है,*
*ये मामूली बला नहीं है,*
*मूर्खों से भी बचें स्वयं हम*
*संयमित हो रहें स्वयं हम।*

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Wednesday, May 13, 2020

ध्यान

*दुर्लभं त्रयमेवैतत् देवानुग्रहहेतुकम्।*
*मनुष्यत्वं मुमुक्षुत्वं महापुरूषसंश्रय:॥*

यह तीन दुर्लभ हैं और देवताओं की कृपा से ही मिलते हैं : मनुष्य जन्म, मोक्ष की इच्छा और महापुरुषों का साथ।

These three are very difficult to get and can be achieved only by the grace of the God : birth as human, desire for salvation and company of the nobles.

*मिला मनुज तन इसे बचाएँ,*
*हम अपना आरोग्य बढ़ाएँ,*
*ध्यान, योग नियमित अपनाएँ*
*हर बीमारी दूर भगाएँ*

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Tuesday, May 12, 2020

सदगुण

*दानं प्रियवाक्य सहितं ज्ञानमगर्वं क्षमान्वितं शौर्यं।*
*वित्तं त्यागनियुक्तं दुर्लभमेतत् चतुष्टय लोके।।*

याचकों को दान देते समय प्रिय वचन कहने वाले, अपने ज्ञानी होने पर गर्व न करने वाले, शूरवीर होने पर भी क्षमाशील, तथा धनवान होते हुए भी दानशील, इन सद्गुणों से युक्त मनुष्य इस संसार में दुर्लभ होते हैं।

Persons endowed with four qualities, namely speaking politely while doing charity, not being proud of being knowledgeable, forgiving in nature in spite of being valorous, and wealthy but also very charitable and detached from their wealth, are very rare in this World.

*स्व पर यदि निर्भर हो जाएँ*
*सब सुख जीवन में भर जाएँ*
*विश्व पटल पर हम छा जाएँ*
*जन जन में विश्वास जगाएँ।*

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Monday, May 11, 2020

मूल

*अमंत्रं अक्षरं नास्ति, नास्ति मूलं अनौषधः।*
*अयोग्यः पुरूषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभः।।*

संसार में कोई ऐसा अक्षर नहीं है जिससे कोई मंत्र न शुरू होता हो। कोई ऐसा मूल (जड़) नहीं जो किसी रोग की औषधि नहीं है, तथा दुनिया में कोई भी व्यक्ति पूर्णतः अयोग्य नहीं है जो किसी काम न आ सके। 
किन्तु उक्त तीनों का (मंत्र, औषधि और व्यक्ति का) समुचित प्रयोग करने वाले योजक कठिनता से मिलते हैं।

There is no letter in the world that starts no mantra. There is no such root which is not the medicine of any disease, and no one in the world is completely disqualified who can not do any work.
But the one who uses of the said three (mantra, medicine and person) is rare.

*जीवन अपना सभी बचाएँ,*
*घर पर ही कुछ दिन रह जाएँ*
*अपनी शक्ति और बढ़ाएँ,*
*कोरोना से क्यों घबराएँ।*

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Sunday, May 10, 2020

प्रेम

*प्रेम हरि को रुप है, त्यौं हरि प्रेमस्वरुप।*
*एक होई है यों लसै, ज्यों सूरज औ धूप।*

प्रेम को हरि अर्थात परम तत्व के समान बताते हुए रसखान ने प्रेम एवं परम को एक दूजे का रूप कहा है। प्रेम और परम ऐसे सम्बद्ध हैं जैसे सूरज एवं धूप।

Love is God and God is Love. Both are so close as Sun and sunlight.

*सब पर मन में प्रेम रखें,*
*दूरभाष से सब बात करें,*
*चित्र नाद निज रूप भरें,*
*किन्तु न बाहर पैर धरें।*

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Saturday, May 9, 2020

एकल तपस्या

*एकाकिनो  तपो  द्वाभ्यां  पठनं  गायनं  त्रिभिः।*

तपस्या अकेले ही की जाती है, विद्याध्ययन के लिए दो व्यक्ति (गुरु और शिष्य) आवश्यक होते हैं। गायन के लिए तीन व्यक्तियों (गायक, संगति करने वाला और श्रोता) अवश्य होने चाहिए। 

Asceticism is to be practiced alone by a person, and for studying at least two persons (teacher and the student) are essential. For singing at least three persons (the singer, the accompanist and the listener) are required.

*रहें अकेले तप करने को*
*मन में शक्ति नयी भरने को*

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Friday, May 8, 2020

बुद्धिमत्ता

*प्रस्तावसदृशं वाक्यं प्रभावसदृशं प्रियम्।*
*आत्मशक्तिसमं कोपं यो जानाति स पंडित:॥*

The wise person talks according to the occasion, speaks in accordance with dignity, and becomes furious  according to his power.

अवसर के अनुकूल बात करने वाला अपनी सामर्थ्य गरिमा के अनुरूप भाषण करने वाला तथा अपनी शक्ति के अनुरूप क्रोध करनेवाला व्यक्ति ही बुध्दिमान कहलाता है।

*संकट समझें तनिक विचारें*
*घर में ही ये दिवस गुजारें*

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Thursday, May 7, 2020

प्रेम

*प्रेम न बाड़ी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय। *
*राजा परजा जेहि रुचै, सीस देइ ले जाय।।*

प्रेम न तो खेत में उगता है और न ही बाजार में बिकता है। प्रेम के लिए विनम्रता आवश्यक है, चाहे राजा हो या कोई सामान्य व्यक्ति। जिसे झुकना आता है उसे यह सहज उपलब्ध है।

Love does not grow in the fields nor be sold in the market. Humility is necessary for love, whether it be a king or an ordinary person. It is easily accessible to anyone who bows down.

*प्रेम रखें हम बहुत जरूरी,*
*पर उसमें भी दो ग़ज़ दूरी,*
*समय विकट है भजें परम को,*
*छोड़ें सारे वहम अहम को।*

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Wednesday, May 6, 2020

बुद्ध पूर्णिमा

*अप्प दीपो भव।*

स्वयं प्रकाशित हों, अर्थात स्वप्रेरित बनें।

Be self motivated.

भगवान बुद्ध के जन्मदिवस पर हम स्वप्रेरित होने का संकल्प लें।

तथागत भगवान बुद्ध के जन्मदिवस *बुद्ध पूर्णिमा* की शुभकामनाएँ।

*आज तथागत बुद्ध हुए थे*
*निज पर विजय सिद्ध हुए थे*
*आएँ हम भी निज को साधें*
*घर की मर्यादा न लांघें।*

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