Thursday, May 7, 2020

प्रेम

*प्रेम न बाड़ी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय। *
*राजा परजा जेहि रुचै, सीस देइ ले जाय।।*

प्रेम न तो खेत में उगता है और न ही बाजार में बिकता है। प्रेम के लिए विनम्रता आवश्यक है, चाहे राजा हो या कोई सामान्य व्यक्ति। जिसे झुकना आता है उसे यह सहज उपलब्ध है।

Love does not grow in the fields nor be sold in the market. Humility is necessary for love, whether it be a king or an ordinary person. It is easily accessible to anyone who bows down.

*प्रेम रखें हम बहुत जरूरी,*
*पर उसमें भी दो ग़ज़ दूरी,*
*समय विकट है भजें परम को,*
*छोड़ें सारे वहम अहम को।*

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