Thursday, April 30, 2020

गुण

*उद्यमः साहसं धैर्यं बलं बुद्धि पराक्रमः।*
*षडेते यस्य तिष्ठन्ति तस्य देवोऽपि सशंकितः।।*

जिस व्यक्ति में उद्यमिता, साहस, धैर्य, बल, बुद्धि एवं पराक्रम, ये छः गुण होते हैं, उस से देवता भी सशंकित (भयभीत) रहते हैं।

A person who possesses these six virtues, namely continued and strenuous efforts, courage (capacity to take risks), patience, strength, intelligence and gallantry, even the Gods are apprehensive of such a person.

विश्व श्रमिक दिवस (1 मई) को आएँ कठिन श्रम हेतु संकल्पित हों।

*बार बार हाथों को धोना*
*घर में ही हम सबका होना*
*कठिन तपस्या हमने की है*
*निश्चित हारेगा कोरोना*

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Wednesday, April 29, 2020

साधन

*वित्तं बन्धुर्वयः कर्म विद्या भवति पञ्चमी।*
*एतानि मान्यस्थानानि गरीयो यद्यत् उत्तरम।।*
                                                           
धन, स्वजन, आयु, सत्कर्म और विद्या, ये पांच साधन मनुष्य को प्रतिष्ठा एवं सम्मान दिलाने के साधन हैं। ये उत्तरोत्तर एक दूसरे से श्रेष्ठ हैं, अर्थात धन से स्वजन, स्वजन से आयु, आयु से सत्कर्म एवं अन्ततः विद्वता, विद्यार्जन ही सर्वश्रेष्ठ है।

Wealth, close relatives,  age of a person, meaningful activity and  knowledge being the five factors that bestow  respect and honourable position to a person in the society and these factors are respectively more venerable. In the last the knowledge is the best.

*घर में रहकर करो पढ़ाई*
*कोरोना से यही लड़ाई*
*स्वच्छ हाथ हो मुँह पर कपड़ा*
*शस्त्र यही है सबसे तगड़ा*

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Tuesday, April 28, 2020

अंतर्मन

*उद्धरेत् आत्मनात्मानं नात्मानम् अवसादयेत्।*
*आत्मैव ह्रात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मन:।।*
गीता : अध्याय ६, श्लोक ५।

हम स्वयं अपने द्वारा अपना उद्धार करें एवं स्वयं को अधोगति अथवा अवसाद में न डालें क्योंकि हम स्वयं ही स्वयं के मित्र अथवा शत्रु होते हैं।

We should raise ourselves self by our own efforts and should not degrade ourselves; as we only are our own friend or foe.

*स्वयं संयम एक उपचार,*
*स्वयं करें स्व का उद्धार।*

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Monday, April 27, 2020

आन्तरिक शक्ति

*अन्तःसारविहीनस्य  सहायः किं करिष्यति।*
*मलयेऽपि  स्थितो  वेणुर्वेणुरेव  न चन्दनः।।*

जिस व्यक्ति में स्वयं अपनी आन्तरिक शक्ति या सामर्थ्य न हो उसकी सहायता करने से कुछ भी लाभ नहीं होता है। उदाहरणार्थ मलय प्रदेश में चन्दन वृक्ष के वनों में उगे हुए बाँस के वृक्ष बाँस के ही  रहते हैं और चन्दन नहीं हो जाते हैं।

It is of no use to help a person who is devoid of inner strength and capability, just like the bamboo trees growing in the Malaya region in a forest of Sandalwood trees remain as bamboo trees and do not become sandal wood trees.

*हम अन्तस् की शक्ति बढ़ाएँ,*
*कोरोना को मार भगाएँ।*

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Sunday, April 26, 2020

आचरण

*आचाराल्लभते आयु: आचारादीप्सिता: प्राजा:,*
*आचाराद्धनमक्षय्यम् आचारो हन्त्यलक्षणम्।।*

Good conduct means good behavior, gives longevity, great progeny, everlasting prosperity, and also destroys one's own faults. Every situation is not in our hands but our conduct is under our control.

अच्छे आचरण अर्थात सदव्यवहार से दीर्घ आयु, श्रेष्ठ सन्तति, चिर समृद्धि प्राप्त होती है, तथा अपने दोषों का भी नाश होता है। प्रत्येक परिस्थिति हमारे हाथ में नहीं किन्तु हमारा आचरण हमारे वश में है।

*घर से बाहर अब यदि जाएँ*
*दो ग़ज़ दूरी सभी निभाएँ।*
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Saturday, April 25, 2020

धर्म विमुख

*बलवान् अपि अशक्तोऽसौ धनवानपि निर्धनः।*
*श्रुतवान् अपि मूर्खोऽसौ यो धर्मविमुखो जनः॥*

जो व्यक्ति अपने धर्म (कर्तव्य) से विमुख होता है, वह बलवान हो कर भी असमर्थ, धनवान हो कर भी निर्धन तथा ज्ञानी हो कर भी मूर्ख होता है।

The person who deviates from his duties, his abilities, wealth and intellect are of no use.

*वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया "अक्षय तृतीया" (आखा तीज) भगवान परशुराम के अवतरण दिवस पर आएँ  अपने कर्तव्य निर्वहन हेतु उनके आदर्शों एवं तपस्या को अपने जीवन में उतारें एवं समस्त विघ्नों के विरुद्ध संकल्पित हों।*

*शनै शनै हम जीत रहे हैं,*
*किन्तु शत्रु भी बहुत बढ़े हैं,*
*नहीं साधना खत्म हुई है,*
*क्यों घर छोड़ें क्या जल्दी है।* 

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Thursday, April 23, 2020

समय

*समप्रकास तम पाख दुहु, नाम भेद बिधि कीन्ह।*
*ससि सोषक पोषक समुझि, जग जस अपजस दीन्ह॥*
रामचरित मानस : बालकाण्ड।

एक माह के दो पक्षों (शुक्ल एवं कृष्ण) में प्रकाश एवं अंधकार समान होता है किंतु दोनों की प्रकृति भिन्न है। एक चन्द्रमा को क्रमशः बढ़ाता जाता है और दूसरा घटाता जाता है, इसी कारण एक को यह जग यश देता है जबकि दूसरे को अपयश देता है।

Two fortnights of a month _Shukla_ and _Krishna_ are having same brightness and darkness, but are separated by the nature of both. One increases the moon gradually and other decreases, that is why the world praises one but condemn other.

*विकासोन्मुख रहें।*

*कठिन समय आया हम सब पर,*
*करें प्रार्थना निज घर रह कर।*

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Wednesday, April 22, 2020

दान

*अति साहसमतिदुष्करमत्याश्चर्यं  च दानमर्थानाम्।*
*योऽपि ददाति शरीरं न ददाति स वित्तलेशमपि।।*

समाज की सेवा और उन्नति के लिये धन संपत्ति का दान करना एक अत्यन्त कठिन, साहसिक तथा प्रशंसनीय कार्य है। परन्तु कुछ (लोभी और कंजूस) व्यक्ति चाहे अपनी जान दे देंगे लेकिन अपनी संपत्ति का लेशमात्र अंश भी दान नहीं करते हैं।

Giving away wealth as charity for social purposes is a very arduous, difficult and a wonderful act. But some people (misers and greedy persons) will rather give up their life but will not spare even a very little portion of their wealth as charity.

*दान धर्म जप नियम निभाएँ,*
*किन्तु न घर से बाहर जाएँ,*

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Tuesday, April 21, 2020

ज्ञान

*कर्मणा रहितं ज्ञानं पंगुना सदृशं  भवेत्।*
*न तेन प्राप्यते किन्चिन्न च किंचित्प्रसाध्यते।।*

यदि कोई व्यक्ति ज्ञानवान हो कर भी तदनुसार कर्म (ज्ञान का उपयोग) नहीं करता है तो उसकी स्थिति एक पंगु (चलने फिरने में असमर्थ) व्यक्ति के समान होती है। वह न तो उस ज्ञान से थोड़ा भी लाभ ले सकता है और न ही उस विषय में कोई उपलब्धि प्राप्त कर सकता है।

If a knowledgeable person does not use his knowledge by taking appropriate action, his position is like that of a crippled person. He can neither obtain even a little benefit out of such knowledge, nor any accomplishment in the field of his knowledge.

*धर्म यही कर्तव्य यही है,*
*घर में रहना बहुत सही है।*

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Monday, April 20, 2020

संयम

*आपत्सु किं विषादेन सम्पतौ विस्मयेन किं।*
*भवितव्यं भवत्येव कर्मणामेष निश्चयः।।*

आपदा (दुर्भाग्य) के आने पर विषाद करने से और धन संपत्ति प्राप्त होने पर हर्ष एवं आश्चर्य करने से कुछ नहीं होगा क्योंकि जैसे कर्म (अच्छे या बुरे) किये गये होंगे, उनके अनुसार ही जो होना होता है, वह अवश्य ही घटित होगा।

It is futile to grieve while facing adversity or misfortune and also marveling at acquisition of wealth, because whatever is destined will definitely happen according to the deeds (good or bad).

*स्वयं संयमित हो सबको बोलें,*
*नियम एक बाहर मत डोलें।*
*नहीं काम आवश्यक जब तक,*
*बाहर व्यर्थ न शक्ति टटोलें।*

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