Thursday, April 9, 2020

विनम्रता

*फल भारन नमि बिटप सब रहे भूमि निअराइ।*
*पर उपकारी पुरुष जिमि नवहिं सुसंपति पाइ॥*
रामचरितमानस : अरण्यकाण्ड।

जिस प्रकार फलदार वृक्ष, फलों से लदने पर नीचे झुक जाते हैं, अर्थात उस वृक्ष की डालियाँ जमीन की ओर झुक जाती हैं। उसी प्रकार परोपकारी व्यक्ति सुसम्पति पाकर और अधिक विनम्र हो जाते हैं।

Just as fruitful trees, when laden with fruits, bow down, that is, the branches of that tree lean towards the ground. In the same way, noble person become more humble after gaining wealth.

*शेष तपस्या अब कुछ दिन की,*
*हार है निश्चित कोरोना की,*

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Wednesday, April 8, 2020

मृदुभाषी

*प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।*
*तस्मात्तदेव वक्तव्यं, वचने किं दरिद्रता।।*

मीठी वाणी बोलने से सभी व्यक्ति प्रसन्न और संतुष्ट होते हैं इसलिए सदैव मधुर वचन ही बोलना चाहिए। वाणी हमारे अधीन है और इसका कोई मूल्य भी नहीं देना पड़ता तो मीठे वचन बोलने में दरिद्रता कैसी?

तुलसी मीठे वचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर।
वशीकरण यह मंत्र है, तज दे वचन कठोर।

All the people are happy and satisfied by soft and sweet words, therefore always speak sweet words. We have control over our words and have not to pay any price for soft words, then why to be miser in saying sweet words?

मृदुभाषी बनें।

*जीत रहे हम निश्चित जानो,*
*घर में रहना, बात सभी मानो,*

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Tuesday, April 7, 2020

हनुमान जयंती

*हनुमान तेहि परस कर, कर पुनि कीन्ह प्रनाम।*
*राम काजु कीन्हें बिना, मोहि कहाँ बिश्राम॥*
रामचरितमानस : सुंदर काण्ड।

सीता जी की खोज करने समुद्र लाँघने को उद्यत हनुमान को मैनाक पर्वत ने बैठने हेतु प्रार्थना की तब हनुमान जी ने प्रेम से उनको अपने हाथों से स्पर्श कर प्रणाम किया और कहा- श्री रामचंद्रजी का काम किये बिना मुझे विश्राम नहीं करना है॥

We can learn from _Hanumaan_ that we should not rest until reach to goal.

आएँ हनुमान प्रकटोत्सव पर हम सभी अपने कार्यों को अविराम पूरा करने का संकल्प लें।

श्री हनुमान हमें अपना संकल्प पूरा करने की सामर्थ्य एवं शक्ति प्रदान करें।

*हनुमान जन्मोत्सव की असीम शुभकामनाएँ।*

सुमिरन अपने ईश का, घर महुँ कर दिन रात,
किन्तु न बाहर जाइये, कोरोना की घात।

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Monday, April 6, 2020

उत्साह

*उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम्।*
*सोत्साहस्य च लोकेषु न किंचिदपि दुर्लभम्॥*
वाल्मीकि रामायण : किष्किन्धा काण्ड ; १/१२१

Enthusiasm is the power of men. Nothing is as powerful as enthusiasm. Nothing is difficult in this world for an enthusiastic person.

उत्साह पुरुषों का बल है, उत्साह से बढ़कर और कोई बल नहीं है। उत्साहित व्यक्ति के लिए इस लोक में कुछ भी दुर्लभ नहीं है। 

*उत्साह कभी नहीं खोना*
*हारेगा निश्चित कोरोना*

शुभ दिन हो।

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Saturday, April 4, 2020

महादेव

*वयम् अमृतस्य पुत्रा:।*
                      श्वेताश्वर उपनिषद

हम अमृत तत्व से उत्पन्न हुए हैं। हम अविनाशी ईश्वर का एक अंश हैं।

We are children of the nector element. We are a part of eternal imperishable GOD.

शुभ दिन हो।

*देवपुत्र हम, यह विश्वास नहीं खोना,*
*यह निश्चित है, हारेगा कोरोना।*

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Friday, April 3, 2020

प्रभु स्मरण

*काम क्रोध मद लोभ सब नाथ नरक के पंथ।*
*सब परिहरि रघुबीरहि भजहूँ भजहिं जेहि संत।।*

Anger, Lust, Arrogance, Greed all these are gateway to the Hell/ disaster. So we should get rid of them by chanting the name of God. As they noblemen do.

काम क्रोध मद (अभिमान) लोभ, ये सभी नरक में ले जाने वाले रास्ते हैं, इसलिए इन सभी का त्याग कर के श्री रघुबीर (श्री राम जी) का स्मरण करें, जिनका संतजन भी भजन करते हैं।

*करउ दिन रात भजन भगवाना,*
*किन्तु न घर से बाहर जाना।*

शुभ दिन हो।

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Thursday, April 2, 2020

प्रकार

*काटेहिं पइ कदरी फरइ, कोटि जतन कोउ सींच।*
*बिनय न मान खगेस सुनु, डाटेहिं पइ नव नीच।।*

जिस प्रकार केले का पेड़ काटने पर ही फलता एवम् बढ़ता है, चाहे कोई कितना भी सींचे। उसी प्रकार नीच व्यक्ति (खलबुद्धि), विनय से नहीं मानता, बल्कि डाँटने पर ही रास्ते पर आता है।

Just as a banana tree grows well on cutting it, no matter how well watered. In the same way, the lowly person does not believe in humility, but sets right only after scolding.

शुभ दिन हो।

*कोई कुछ भी भले करे,*
*हम घर से बाहर नहीं फिरें।*

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Wednesday, April 1, 2020

रामनवमी

*जोग लगन ग्रह बार तिथि, सकल भये अनुकूल।*
*चर अरु अचर हर्षजुत, राम जनम सुखमूल॥*

योग, लग्न, ग्रह, वार और तिथि सभी अनुकूल हो गये। जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गये। श्री राम का जन्म सभी सुखों को देने वाला  है॥

*नौमी तिथि मधु मास पुनीता।* *सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥*
*मध्यदिवस अति सीत न घामा।* 
*पावन काल लोक बिश्रामा॥*

*सीतल मंद सुरभि बह बाऊ।* *हरषित सुर संतन मन चाऊ॥*
*बन कुसुमित गिरिगन मनिआरा।* 
*स्रवहिं सकल सरिताऽमृत धारा।।*

चैत्र का पवित्र माह था, नवमी तिथि थी। शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित्‌ मुहूर्त था। दोपहर का समय था। न अधिक सर्दी थी, न अधिक धूप (गरमी) थी। वह पवित्र समय सब लोकों को शांति देने वाला था॥

शीतल, मंद और सुगंधित हवा बह रही थी। देवता हर्षित थे और संतों के मन में बड़ा चाव था। वन फल फूलों से लदे हुए थे, पर्वतों के समूह मणियों से जगमगा रहे थे और सारी नदियाँ अमृत की धारा बहा रही थीं॥

*आज माँ के सिद्धिदात्री स्वरूप का नमन करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के प्राकट्य दिवस रामनवमी की अनन्त शुभकामनाएँ।*

आएँ मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के पवित्र भाव के साथ संकल्पित हों एवं कोरोना को हराने हेतु मर्यादा का पालन करें।

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Tuesday, March 31, 2020

चिंता

*चिन्ताज्वरो मनुष्याणां क्षुधां निद्रां बलं हरेत्।*
*रूपमुत्साहबुध्दिं श्रीं जीवितं च न संशयः॥*

The fever of worry snatches away hunger, sleep, strength, beauty, enthusiasm, mind, wealth and life itself - there is no doubt.

"चिंता" रूपी ज्वर (बुखार) मनुष्य की भूख, नींद, बल, सौंदर्य, उत्साह, बुद्धि, समृद्धि और जीवन तक को भी हर लेता है । इसमें कोई संदेह नहीं है।

चिंता से बचें।

*अष्टम नवरात्र पर माँ के महागौरी स्वरुप को नमन*

*एक कार्य बस एक कार्य,*
*घर से बाहर नहीं स्वीकार्य*

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Monday, March 30, 2020

परोपकार

*संत विटप सरिता, गिरि धरनी।*
*पर हित हेतु सबन्ह कै करनी।।*

परहित को अपनाने हेतु तुलसीदास जी प्रकृति के समस्त सोपानों का उल्लेख करते हुए बताते हैं कि नदियाँ, पर्वत, पृथ्वी, वृक्ष एवं संत सदैव परोपकार में कर्मरत रहते हैं।

All the natural aspects like mountains, earth, rivers, trees along with noble persons do for others only.

*सप्तम नवरात्रि पर माँ के कालरात्रि स्वरूप को नमन*

*कोरोना को हराना है,*
*घर से कहीं न जाना है।*

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