Saturday, January 25, 2020

मातृभूमि

*नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्।*
*महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते।।*

हे वात्सल्य से पूर्ण मातृभूमि!  हम सभी के सुखों में निरन्तर वृद्धि करने वाली, हे हिन्दभूमि! आपको सदैव नमन है।
हे महामंगलमयी पुण्यभूमि! आपके ही कार्य में मेरा यह शरीर अर्पण हो। आपको बारम्बार नमन है, नमन है।

O loving motherland! You increase constantly our happiness, O Indian land! I always salute you.
O virtuous land! May this body be offered in your work only. I bow myself to you. Salute to you.

देश के 71 वें गणतन्त्र दिवस पर आएँ इस महान भूमि का हृदय से वंदन करें एवं राष्ट्रहित सङ्कल्पित होवें।

*शुभकामनाएँ*

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Thursday, January 23, 2020

फल

*आदेयस्य प्रदेयस्य कर्तव्यस्य च कर्मण:।*
*क्षिप्रमक्रियमाणस्य काल: पिबति तद्रसम्॥*

समय एवं परिस्थिति के अनुसार कर्म करना हमारा कर्तव्य है। समय पर नहीं किये गये कार्य का फल समय स्वयं नष्ट कर देता है।

To act as per situation and time is necessary. The work done not on time, does not give any result.

शुभ दिन हो।

🌸💐🌹🙏🏼

Wednesday, January 22, 2020

हरि विमुख

*तजौ मन, हरि बिमुखन कौ संग।*
*जिनकै संग कुमति उपजत है, परत भजन में भंग।*

सूरदास जी ने हरि विमुख अर्थात् जो अपने कर्तव्य, धर्म एवं स्वयं से विमुख हो का साथ छोड़ने की सलाह देते हुए लिखा है कि ऐसे व्यक्तियों के साथ से कुमति (दुर्बुद्धि) उत्पन्न होती है जो हमें अपने कर्तव्य एवं धर्म से विमुख करती है।

We should leave the company of such persons who are deviated from there duties, self and religion, as it makes us also deviated from our duties and religion.

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏼

Tuesday, January 21, 2020

अहंकार का त्याग

*सधन सगुन सधरम सगन सबल सुसाइँ महीप।*
*तुलसी जे अभिमान बिनु ते तिभुवन के दीप।*

तुलसीदास जी ने बहुत ही सीधे शब्दों में धनवान, गुणवान, धर्मवान, बलवान, और सर्वप्रिय राजा से भी श्रेष्ठ, तीनों लोकों में प्रकाशित होने वाला, _निरभिमान_ (अर्थात् जिसमें अहंकार न हो) को बताया है।

The person without arrogance is better than a rich, intelligent, spiritual, popular or even a king.

अहंकार को त्यागें।

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏼

Monday, January 20, 2020

श्री राम

*तृषा जाइ बरु मृगजल पाना।* *बरु जामहिं सस सीस बिषाना।*
*अंधकारु बरु रबिहि नसावै।*
*राम बिमुख न जीव सुख पावै॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

तुलसीदास जी ने परम् तत्व से विमुख होकर सुखी होना नितान्त असम्भव कहा है चाहे नाना प्रकार के असम्भव कार्यों के होने की सम्भावना हो। यथा मरीचिका (मृगतृष्णा) के जल को पीने से भले ही प्यास बुझ जाए, खरगोश के सिर पर भले ही सींग निकल आवे, अन्धकार भले ही सूर्य का नाश कर दे, परन्तु श्री राम से परमतत्व से विमुख होकर जीव सुख नहीं पा सकता।

Even thirst can be satisfied with water from Miraz, a hare can get thrones on its head, dark can destroy the Sun, But no one can get pleasure being against the path of God.

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏻

Sunday, January 19, 2020

परमात्मा का सुमिरन

*बारि मथें घृत होइ बरु सिकता ते बरु तेल।*
*बिनु हरि भजन न तव तरिअ यह सिद्धांत अपेल॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

जल को मथने से भले ही घी उत्पन्न हो जाए और बालू (को पेरने) से भले ही तेल निकल आए, परन्तु परमात्मा के सुमिरन के बिना संसार रूपी सागर से नहीं तरा जा सकता, यह सिद्धांत अटल है॥

Even butter can be produced by churning water and the oil can be abstracted from sand, But being not on the path of God, one can not distract from the attraction of this world. This theory is unattainable.

शुभ दिन हो।

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Thursday, January 16, 2020

चाटुकार मित्र

*आगें कह मृदु बचन बनाई।*
*पाछें अनहित मन कुटिलाई॥*
*जाकर ‍चित अहि गति सम भाई।* 
*अस कुमित्र परिहरेहिं भलाई॥*
रामचरित मानस : अरण्य काण्ड।।

मित्र की विशेषताएँ बताते हुए प्रभु श्री राम कुछ मित्रों से दूर रहने की सीख देते हुए कहते हैं कि,
जो सामने तो बना-बनाकर कोमल वचन कहता है और पीठ-पीछे बुराई करता है तथा मन में कुटिलता रखता है- हे भाई! जिसका मन साँप की चाल के समान टेढ़ा है, ऐसे कुमित्र को तो त्यागने में ही भलाई है।

The one who praise with gentle speech before us and vomits venom behind our back and has a crooked mind. Such friends, whose mind is crooked like a snake, it is better to abandon that friend.

चाटुकार मित्रों से बचें।

शुभ दिन हो।

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Tuesday, January 14, 2020

मकर संक्रांति

*गुणः सर्वत्र पूज्यन्ते न महत्योऽपि सम्पदः।*

गुणों की सर्वत्र पूजा होती है, सम्पत्ति का महत्त्व गौण है।

Virtues are admired everywhere, Wealth is secondary.

*सूर्य देवता के उत्तर पथ पर गतिमान होने के पर्व मकर संक्रांति, उत्तरायण * की सभी को हृदय से शुभकामनाएँ।

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Sunday, January 12, 2020

सत्कर्म

*कबिरा सो धन संचिये, जो आगे को होय।*                                                                    *सीस चढ़ाए पोटली, जात न देख्यो कोय।।*

कबीर कहते हैं कि उस धन का संचय करो जो भविष्य में अर्थात इहलोक में भी काम आये क्योंकि मृत्यु के पश्चात सर पर धन की गठरी बाँध कर ले जाते तो किसी को नहीं देखा।

One should collect the wealth of good deeds which can be used after death also as no body can take this physical wealth with him to another world.

सत्कर्म संचित करें।

शुभ दिन हो।

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राष्ट्रीय युवा दिवस

ब्रह्माण्ड की समस्त शक्तियाँ हमारे पास है। ये विडम्बना है कि हम अपने हाथों से अपनी आँखों को बंद कर अंधकार का प्रलाप करते हैं।

All the powers in the universe are already ours. It is we who have put our hands before our eyes and cry that it is dark.

स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन एवं *राष्ट्रीय युवा दिवस* पर संकल्प लें:

*उठें, जागे और रुके नहीं जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो।*

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