Monday, July 11, 2022

मोह / अहम

*मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला।*
*तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

मोह (सब कुछ मेरा होने का अहम) ही सब रोगों की जड़ है। इस एक से ही और बहुत से शूल (व्याधि) उत्पन्न होते हैं।

Moh (the ego that everything is mine) is the root of all miseries. This only produces many other diseases.

रहे कमल ज्यों ऊपर जल में,
हम जग में निर्लिप्त रहें,
*मोह मूल है हर व्याधि का,*
*मोह तजें हम स्वस्थ रहें।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Tuesday, July 5, 2022

भक्ति

*जातें बेगि द्रवउँ मैं भाई।*
*सो मम भगति भगत सुखदाई॥*
रामचरितमानस : अरण्य कांड।

श्री राम लक्ष्मण को भक्ति की महिमा बताते हुए कहते हैं, हे भाई! जिससे मैं शीघ्र ही प्रसन्न होता हूँ, वह मेरी भक्ति है जो भक्तों को सुख देने वाली है।

Describing the importance of devotion to Lakshmana, Shri Ram says, O brother! By which I am soon pleased, it is devotion to me. The devotion to me gives happiness to the devotees.

राम चरण अनुराग रखें हम,
सुख पाएँ सन्मार्ग चलें हम।
योग ध्यान से स्वस्थ रहें हम।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Tuesday, June 28, 2022

कामना

*अधना धनमिच्छन्ति वाचं चैव चतुष्पदाः।*
*मानवाः स्वर्गमिच्छन्ति मोक्षमिच्छन्ति देवताः॥*

निर्धन व्यक्ति धन की कामना करते हैं और चौपाये अर्थात पशु बोलने की शक्ति चाहते हैं। मनुष्य स्वर्ग की इच्छा करता है और स्वर्ग में रहने वाले देवता मोक्ष-प्राप्ति की इच्छा करते हैं। इस प्रकार जो प्राप्त है, सभी उससे आगे की कामना करते हैं।

A poor wishes for wealth, an animal wishes if it could speak. Man desires heaven while the deities living in heaven desire salvation. Thus everyone wishes beyond what he has.

*सदा आगे बढेंगें हम,*
*यही बस लक्ष्य लेंगें हम,*
*सहायक दूसरों के हित,*
*नयी आशा बनेंगें हम।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Monday, June 27, 2022

सदैव शुभ

*एहि तन कर फल बिषय न भाई।*
*स्वर्गउ स्वल्प अंत दुखदाई॥*
*नर तनु पाइ बिषयँ मन देहीं।*
*पलटि सुधा ते सठ बिष लेहीं॥*

रामचरित मानस : उत्तरकांड।

मानव शरीर मिलने का उद्देश्य विषयभोग नहीं है, स्वर्ग का भोग भी थोड़ा लगता है और अंत में दुःख देने लगता है। अतः यदि मनुष्य शरीर पाकर भी विषयों में मन लगाने वाले, किसी मूर्ख के समान अमृत के बदले विष लेने के समान है।

The cause to the human birth is not to be indulged in material things/ pleasures, even pleasure of heaven may seem insufficient and later caused sufferings only. Hence if a human indulge in material things/ pleasures is like a fool who takes venom against nector.

*मिला मनुज तन गर्व करें हम,*
*विषय भोग में क्यों उलझें हम,*
*सत्कर्मों में व्यस्त रहें हम,*
*यह उद्देश्य पूर्ण करें हम।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Friday, June 24, 2022

स्वभाव

*स्वभावं न जहात्येव साधुरापदतोsपि  सन्*
*कर्पूरः पावकस्पृस्तिः सौरभं लभतेतराम् ।*

सज्जन व्यक्ति अपना नैसर्गिक अच्छा स्वभाव किसी बडी आपदा के उपस्थित होने पर भी उसी प्रकार नहीं त्यागते जैसा कि कपूर आग के संपर्क में आ कर जल जाने पर और भी अधिक सुगन्ध देने लगता है।

Noble persons do not shed their inherent good nature even while facing a calamity just like the Camphor, which on coming into contact with fire and while burning emits even more fragrance.

स्वस्थ रहें हम व्यस्त रहें हम,
*श्रेष्ठ बनें मानव बन जाएँ।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Monday, June 20, 2022

योग दिवस

*सुनहु उमा ते लोग अभागी।*
*हरि तजि होहिं बिषय अनुरागी॥*
रामचरित मानस : अरण्यकांड।

गोस्वामी तुलसीदास जी ने भगवान शिव के माध्यम से कहा;, हे पार्वती ! सुनो, वे लोग अभागे हैं, जो ईश्वर को छोड़कर विषयों से अनुराग करते हैं।

Goswami Tulsidas ji told through Lord Shiva, O Parvati! Listen, those people are unfortunate, who love worldly things other than God.

*योग करें हम, योग करें हम,*
*स्वस्थ रहें हम, स्वस्थ रहें हम।*

आज 8वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आएँ योग द्वारा एक स्वस्थ जीवन का संकल्प लें।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Friday, June 17, 2022

क्रोध

*क्रोधः सुदुर्जयः शत्रुः लोभो व्याधिरनन्तकः।।*

मनुष्य के स्वभाव में क्रोध एक ऐसे शत्रु के समान है जिस पर विजय प्राप्त करना बहुत कठिन होता है, तथा लोभ एक कभी दूर न होने वाली बीमारी के समान होता है।

Anger in a person is like an enemy very difficult to conquer or overcome, and greed is like an endless disease.

*क्रोध लोभ से बचना है,*
*योग नित्य ही करना है,*
*स्वस्थ हमेशा रहना है,*
*सदा सुखी अब बनना है।*

8वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में 3 दिन शेष हैं।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Sunday, May 29, 2022

वट सावित्री व्रत

*मूले ब्रह्मा त्वचा विष्णु शाखा शंकरमेवच।*
*पत्रे पत्रे सर्वदेवायाम् वृक्ष राज्ञो नमोस्तुते।।*
 
जिस वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा तने पर श्री हरि विष्णु एवं शाखाओं पर देव आदि देव महादेव भगवान शंकर का निवास है और उस वृक्ष के पत्ते पत्ते पर विभिन्न देवताओं का वास है ऐसे वृक्षों के राजा को हमारा नमस्कार है।

Our salutations to the king of trees in which Brahma resides on the roots, Shri Hari Vishnu on the trunk and Dev Adi Dev Mahadev Lord Shankar resides on the branches and various deities on each of leaves.

*आज ज्येष्ठ अमावस्या, बड़ अमावस्या, वट सावित्री एवं शनि जयन्ति के इस विशेष पर्व पर सभी के सौभाग्य में वृद्धि हो ऐसी शुभकामनाएँ।*

*हृदय उदारता भरें,*
*मनुष्यता मनुज धरें,*
*न रोग शोक ग्रस्त हों,*
*सनातनी प्रथा वरें।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Friday, May 27, 2022

चरित्र

*वृत्तं यत्नेन संरक्षेत, वित्तम् आयातियाति च।*
*अक्षीणो वित्ततः क्षीणो, वृत्ततस्तु हतोहतः।।*

वृत्त (चरित्र) की सुरक्षा यत्नपूर्वक करनी चाहिए, वित्त (धन) तो आता-जाता रहता है। वित्त के क्षीण (नष्ट) होने से कुछ भी क्षीण नहीं होता, किन्तु वृत्त के नष्ट होने से सब कुछ नष्ट हो जाता है।

We should take care of the character very diligently, the money lost can be earned back. Nothing is impaired due to the loss of wealth, but the destruction of the character destroys everything.

चरित्र हमारा शौर्य भरा हो,
स्वर्ण समान शुद्ध खरा हो,
धर्म सनातन योग तपस्या,
इनसे जीवन नित सँवरा हो।

आज *वीर सावरकर* जयंती पर सदैव राष्ट्र प्रथम हेतु संकल्पित हों।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Monday, May 23, 2022

ज्ञान

*न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।*
*तत्स्वयं योगसंसिद्ध: कालेनात्मनि विन्दति।।*
गीता : अध्याय ४, श्लोक ३८।

इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र करने वाला निस्संदेह कुछ भी नहीं है। यह ज्ञान, कर्मयोग के द्वारा शुद्धान्त:करण हुआ मनुष्य कालांतर में अपने-आप ही आत्मा में पा लेता है।

On this earth, there is nothing which can purify as knowledge. The person who has attained purity of heart through a prolonged practice of Karmayoga automatically sees the light of truth in the self in course of time.

ज्ञान ध्यान तप योग जरूरी,
मिटे परम से अपनी दूरी।

*योग करें और स्वस्थ रहें।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼