Monday, June 27, 2022

सदैव शुभ

*एहि तन कर फल बिषय न भाई।*
*स्वर्गउ स्वल्प अंत दुखदाई॥*
*नर तनु पाइ बिषयँ मन देहीं।*
*पलटि सुधा ते सठ बिष लेहीं॥*

रामचरित मानस : उत्तरकांड।

मानव शरीर मिलने का उद्देश्य विषयभोग नहीं है, स्वर्ग का भोग भी थोड़ा लगता है और अंत में दुःख देने लगता है। अतः यदि मनुष्य शरीर पाकर भी विषयों में मन लगाने वाले, किसी मूर्ख के समान अमृत के बदले विष लेने के समान है।

The cause to the human birth is not to be indulged in material things/ pleasures, even pleasure of heaven may seem insufficient and later caused sufferings only. Hence if a human indulge in material things/ pleasures is like a fool who takes venom against nector.

*मिला मनुज तन गर्व करें हम,*
*विषय भोग में क्यों उलझें हम,*
*सत्कर्मों में व्यस्त रहें हम,*
*यह उद्देश्य पूर्ण करें हम।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Friday, June 24, 2022

स्वभाव

*स्वभावं न जहात्येव साधुरापदतोsपि  सन्*
*कर्पूरः पावकस्पृस्तिः सौरभं लभतेतराम् ।*

सज्जन व्यक्ति अपना नैसर्गिक अच्छा स्वभाव किसी बडी आपदा के उपस्थित होने पर भी उसी प्रकार नहीं त्यागते जैसा कि कपूर आग के संपर्क में आ कर जल जाने पर और भी अधिक सुगन्ध देने लगता है।

Noble persons do not shed their inherent good nature even while facing a calamity just like the Camphor, which on coming into contact with fire and while burning emits even more fragrance.

स्वस्थ रहें हम व्यस्त रहें हम,
*श्रेष्ठ बनें मानव बन जाएँ।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Monday, June 20, 2022

योग दिवस

*सुनहु उमा ते लोग अभागी।*
*हरि तजि होहिं बिषय अनुरागी॥*
रामचरित मानस : अरण्यकांड।

गोस्वामी तुलसीदास जी ने भगवान शिव के माध्यम से कहा;, हे पार्वती ! सुनो, वे लोग अभागे हैं, जो ईश्वर को छोड़कर विषयों से अनुराग करते हैं।

Goswami Tulsidas ji told through Lord Shiva, O Parvati! Listen, those people are unfortunate, who love worldly things other than God.

*योग करें हम, योग करें हम,*
*स्वस्थ रहें हम, स्वस्थ रहें हम।*

आज 8वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आएँ योग द्वारा एक स्वस्थ जीवन का संकल्प लें।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Friday, June 17, 2022

क्रोध

*क्रोधः सुदुर्जयः शत्रुः लोभो व्याधिरनन्तकः।।*

मनुष्य के स्वभाव में क्रोध एक ऐसे शत्रु के समान है जिस पर विजय प्राप्त करना बहुत कठिन होता है, तथा लोभ एक कभी दूर न होने वाली बीमारी के समान होता है।

Anger in a person is like an enemy very difficult to conquer or overcome, and greed is like an endless disease.

*क्रोध लोभ से बचना है,*
*योग नित्य ही करना है,*
*स्वस्थ हमेशा रहना है,*
*सदा सुखी अब बनना है।*

8वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में 3 दिन शेष हैं।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Sunday, May 29, 2022

वट सावित्री व्रत

*मूले ब्रह्मा त्वचा विष्णु शाखा शंकरमेवच।*
*पत्रे पत्रे सर्वदेवायाम् वृक्ष राज्ञो नमोस्तुते।।*
 
जिस वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा तने पर श्री हरि विष्णु एवं शाखाओं पर देव आदि देव महादेव भगवान शंकर का निवास है और उस वृक्ष के पत्ते पत्ते पर विभिन्न देवताओं का वास है ऐसे वृक्षों के राजा को हमारा नमस्कार है।

Our salutations to the king of trees in which Brahma resides on the roots, Shri Hari Vishnu on the trunk and Dev Adi Dev Mahadev Lord Shankar resides on the branches and various deities on each of leaves.

*आज ज्येष्ठ अमावस्या, बड़ अमावस्या, वट सावित्री एवं शनि जयन्ति के इस विशेष पर्व पर सभी के सौभाग्य में वृद्धि हो ऐसी शुभकामनाएँ।*

*हृदय उदारता भरें,*
*मनुष्यता मनुज धरें,*
*न रोग शोक ग्रस्त हों,*
*सनातनी प्रथा वरें।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Friday, May 27, 2022

चरित्र

*वृत्तं यत्नेन संरक्षेत, वित्तम् आयातियाति च।*
*अक्षीणो वित्ततः क्षीणो, वृत्ततस्तु हतोहतः।।*

वृत्त (चरित्र) की सुरक्षा यत्नपूर्वक करनी चाहिए, वित्त (धन) तो आता-जाता रहता है। वित्त के क्षीण (नष्ट) होने से कुछ भी क्षीण नहीं होता, किन्तु वृत्त के नष्ट होने से सब कुछ नष्ट हो जाता है।

We should take care of the character very diligently, the money lost can be earned back. Nothing is impaired due to the loss of wealth, but the destruction of the character destroys everything.

चरित्र हमारा शौर्य भरा हो,
स्वर्ण समान शुद्ध खरा हो,
धर्म सनातन योग तपस्या,
इनसे जीवन नित सँवरा हो।

आज *वीर सावरकर* जयंती पर सदैव राष्ट्र प्रथम हेतु संकल्पित हों।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Monday, May 23, 2022

ज्ञान

*न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।*
*तत्स्वयं योगसंसिद्ध: कालेनात्मनि विन्दति।।*
गीता : अध्याय ४, श्लोक ३८।

इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र करने वाला निस्संदेह कुछ भी नहीं है। यह ज्ञान, कर्मयोग के द्वारा शुद्धान्त:करण हुआ मनुष्य कालांतर में अपने-आप ही आत्मा में पा लेता है।

On this earth, there is nothing which can purify as knowledge. The person who has attained purity of heart through a prolonged practice of Karmayoga automatically sees the light of truth in the self in course of time.

ज्ञान ध्यान तप योग जरूरी,
मिटे परम से अपनी दूरी।

*योग करें और स्वस्थ रहें।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Sunday, May 15, 2022

बुद्ध पूर्णिमा

*बुद्धम् शरणम् गच्छामि,* *धम्मम् शरणम् गच्छामि,*
*संघम् शरणम् गच्छामि।*

हम सत्य का अवलम्बन करें,
हम धर्म का अवलम्बन करें,
हम परम शक्ति का अवलम्बन करें।

Let us follow the truth,
Let us follow duties,
Let us trudge for eternal power.

आज तथागत बुद्ध के जन्मदिन, *वैशाख पूर्णिमा, बुद्ध जयंती* पर आएँ अपने कर्तव्य मार्ग पर अडिग रहने का संकल्प लें।

*हम कर्तव्य मार्ग पर अडिग रहें,*
*हम योग ध्यान से स्वस्थ रहें।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

विवेक

*सहसा विदधीत न क्रियामविवेकः परमापदां पदम्।*
*वृणते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः स्वयमेव संपदः।।*

आवेश में आ कर बिना सोचे समझे कोई कार्य नहीं करना चाहिए। 
विवेकशून्यता बड़ी विपत्तियों का द्वार है। 
जो व्यक्ति सोच समझकर कार्य करता है; गुणों से आकृष्ट होने वाली माँ लक्ष्मी स्वयं ही उसका चुनाव कर लेती है |

One should not indulge in action in a hurry.
Indiscretion becomes a step towards extreme troubles.
Glory (good results) always enticed by virtuosity prefer one who exercises discretion.

*विवेक साथ हो सदा,*
*निभाएँ हरेक कायदा,*
*न योग दूर हो कभी,*
*मिले हरेक फ़ायदा।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Tuesday, May 10, 2022

भाव

*न देवो विद्यते काष्ठे न पाषाणे न मृण्मये।*
*भावे हि विद्यते देवस्तस्माद् भावो हि कारणम्॥*

न ही लकड़ी या पत्थर की मूर्ति में, न ही मिट्टी में अपितु परमेश्वर का निवास तो भावों में यानि हृदय में होता है। अतः जहाँ भाव होता है, परमेश्वर वहीं प्रकट हो जाते हैं।

Neither in the idol of wood or stone, nor in the clay, but God resides in the notion. Therefore God appears where there is notion. The belief that makes us feel the presence. Hence, only the emotion/feeling matters – not the material.

भाव और विश्वास साथ हो,
पत्थर में भी परम प्राप्त हो,
नित्य योग हम अपनाएँ,
स्वस्थ रहें परम को पाऍं।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼